क्या धमकी, हिंसा और प्रतिशोध हमें चुप करा सकते हैं?: अभिषेक बनर्जी

सारांश
Key Takeaways
- धमकी और हिंसा लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।
- टीएमसी और भाजपा के बीच बढ़ता तनाव महत्वपूर्ण है।
- प्रतिनिधिमंडल त्रिपुरा की स्थिति का आकलन करेगा।
- लोकतंत्र की रक्षा करना सभी का कर्तव्य है।
- हिंसा का सहारा लेने से स्थिति और बिगड़ती है।
कोलकाता, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यालय पर हुए तोड़फोड़ के बाद टीएमसी और भाजपा के बीच तनाव बढ़ गया है।
इस संदर्भ में, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को चुनाव में हराने में असफल रही भाजपा ने अपनी संपूर्ण मशीनरी उन राज्यों में हिंसा भड़काने के लिए लगा दी है, जहां उनकी सरकार है, और वहां ऐसी घटनाएं हो रही हैं। उनके कार्यकर्ताओं ने त्रिपुरा पुलिस की निगरानी में हमारे पार्टी कार्यालय पर हमला करके तोड़फोड़ की, जिससे उनकी प्रतिशोधात्मक और कानूनविहीन मानसिकता सामने आई है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह कोई अकेली घटना नहीं है। त्रिपुरा में हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को बार-बार हमलों का सामना करना पड़ा है। 2021 में, त्रिपुरा में मेरे काफिले पर भाजपा के गुंडों ने हमला किया था। वे लोकतंत्र की रक्षा की बात करते हैं, लेकिन उनके कार्य लोकतंत्र के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन करते हैं।
टीएमसी नेता ने कहा कि इस गंभीर हमले के बाद, हमारे राज्य का एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बुधवार को त्रिपुरा का दौरा करेगा ताकि स्थिति का आकलन किया जा सके, हमारे सहयोगियों और सहकर्मियों के साथ एकजुटता दिखाई जा सके और राज्य प्रशासन के समक्ष आधिकारिक रूप से इस मामले को उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि धमकी, हिंसा और प्रतिशोध हमें कभी चुप नहीं करा पाएंगे। लोकतंत्र, कानून और जनता का जनादेश हमेशा भाजपा की क्रूर राजनीति पर हावी रहेंगे।
इससे पहले टीएमसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि भाजपा समर्थित गुंडों द्वारा किया गया हिंसक हमला उनकी केवल आक्रामकता नहीं है, बल्कि लोकतंत्र पर एक खुला हमला है। जब सत्ता में बैठे लोग अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं, तो वे अपनी ताकत नहीं, बल्कि डर और नैतिक दिवालियापन का परिचय देते हैं।
पोस्ट में आगे लिखा गया कि भाजपा 'लोकतंत्र बचाने' की बात करती है, जबकि राज्यों की नींव जलाने का काम किया जा रहा है। वे कार्यालयों को नष्ट कर सकते हैं, पोस्टर फाड़ सकते हैं और कार्यकर्ताओं को धमका सकते हैं, लेकिन वे उस प्रतिरोध की भावना को नहीं तोड़ सकते जो तृणमूल के हर कार्यकर्ता और न्याय में विश्वास रखने वाले हर नागरिक में है। हम चुप नहीं होंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे। त्रिपुरा और भारत की जनता देख रही है।