क्या बुर्का पहनकर वोट डालने वाले केवल मुस्लिम हैं, हिंदू भी क्यों नहीं? : मौलाना साजिद रशीदी
सारांश
Key Takeaways
- बुर्का पहनकर वोट डालने वाले केवल मुस्लिम नहीं होते हैं।
- फर्जी मतदान के मामलों को रोकने के लिए पहचान सत्यापन आवश्यक है।
- हर धर्म और समुदाय के लिए समान प्रक्रियाएं होनी चाहिए।
- राजनीतिक नेताओं को इस मुद्दे पर संवेदनशीलता से विचार करना चाहिए।
- चुनाव आयोग ने पहचान की पुष्टि के लिए कदम उठाए हैं।
नई दिल्ली, ६ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के हालिया बयान पर ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
मौलाना साजिद रशीदी ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "सवाल अच्छा था, जवाब भी उपयुक्त था, मैं इसकी सराहना करता हूं। लेकिन, एक और चिंता है, जिसका उल्लेख नहीं किया गया। वर्तमान में कुछ हिंदू भी बुर्का पहनकर वोट डालने पहुंच जाते हैं। गिरिराज सिंह को यह भी बताना चाहिए था कि फर्जी वोटिंग रोकने के लिए बुर्का पहनकर आने वाले सभी व्यक्तियों (चाहे वे भाजपा समर्थक हों या किसी अन्य पार्टी के) को अपना चेहरा दिखाना चाहिए ताकि पहचान की सही तरीके से जांच हो सके।"
उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है और फर्जी मतदान इस पूरी प्रक्रिया को कमजोर करता है। पहचान सत्यापन के समय सभी के लिए एक समान व्यवस्था होना आवश्यक है, बिना किसी धार्मिक भेदभाव के।
मौलाना ने स्पष्ट किया कि बुर्का किसी समुदाय की पहचान या धार्मिक प्रतीक है, लेकिन जब मतदान केंद्र की बात आती है, तो सुरक्षा और पहचान की पुष्टि सबसे महत्वपूर्ण होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी भी पोशाक या वेशभूषा का उपयोग पहचान छिपाने और फर्जी वोटिंग के लिए नहीं होना चाहिए। यदि मतदान अधिकारी को संदेह हो या पहचान की आवश्यकता पड़े, तो बुर्का पहनकर आने वालों को (चाहे वे किसी भी धर्म या पार्टी से हों) अपना चेहरा दिखाना चाहिए। यह एक सामान्य प्रक्रिया होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वोट देने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि चुनाव आयोग ने हर बूथ पर आंगनबाड़ी सेविका की तैनाती की है ताकि यदि किसी को लगे कि बुर्के में कोई संदिग्ध व्यक्ति फर्जी वोट डाल रहा है, तो उसकी पहचान की पुष्टि की जा सके।
उन्होंने आगे कहा कि इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए, क्योंकि यह पाकिस्तान नहीं है, जहां शरिया कानून चलता है। तेजस्वी यादव का राज जीवन में नहीं आएगा, जो यहां शरिया कानून लागू हो जाएगा।