क्या सीबीआई अदालत ने दो पुलिस अधिकारियों को सात साल की सजा सुनाई?

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क्या सीबीआई अदालत ने दो पुलिस अधिकारियों को सात साल की सजा सुनाई?

सारांश

सीबीआई अदालत ने 2009 के घाटकोपर हिरासत में हुई मृत्यु के मामले में दो पुलिस अधिकारियों को सात साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला पुलिस द्वारा हिरासत में यातना देने से जुड़ा है। जानिए इस मामले की पूरी कहानी और अदालत के फैसले का क्या अर्थ है।

Key Takeaways

  • सीबीआई अदालत ने दो पुलिस अधिकारियों को सात साल की सजा सुनाई।
  • यह मामला हिरासत में मौत से संबंधित है।
  • पुलिस अधिकारियों ने हिरासत में यातना दी थी।
  • यह फैसला न्याय प्रणाली की जवाबदेही को दर्शाता है।
  • आरोपी अब अपील कर सकते हैं।

मुंबई, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 2009 के घाटकोपर हिरासत में हुई मृत्यु के मामले में सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुनाया। इस मामले में अदालत ने दो पुलिस अधिकारियों को सात साल की कैद और जुर्माने की सजा दी।

मुंबई की सीबीआई अदालत ने मंगलवार को घाटकोपर पुलिस स्टेशन के पूर्व पुलिस उपनिरीक्षक संजय सुदाम खेडेकर और पूर्व मुख्य निरीक्षक रघुनाथ विठोबा कोलेकर को दोषी ठहराया। अदालत ने उन्हें सात साल की कैद और एक-एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

मेहरुनिस्सा कादिर शेख द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका के आधार पर, सीबीआई ने 27 नवंबर 2009 को अल्ताफ कादिर शेख की मृत्यु से संबंधित मामला दर्ज किया था। इसमें आरोप था कि मृतक को घाटकोपर पुलिस स्टेशन में गिरफ्तार किया गया था और पुलिस अधिकारियों द्वारा हिरासत में यातना देने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

जांच के बाद, सीबीआई ने 30 दिसंबर 2010 को संजय सुदाम खेडेकर, पीएसआई (ए-1), रघुनाथ विठोबा कोलेकर, हेड कांस्टेबल (ए-2) और सयाजी बापूराव थोम्बरे, पुलिस नायक (ए-3) के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। (ए-3 की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई और उसके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया)।

पिछले महीने, पटना की सीबीआई अदालत ने तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट आनंद कुमार (मृत्यु हो गई), असिस्टेंट कमांडेंट विजय कुमार झा और एसआई अपूर्वा सरकार को 24 लाख रुपये मूल्य के जब्त माल की हेराफेरी के लिए 50 हजार रुपये प्रत्येक के जुर्माने के साथ एक वर्ष के कठोर कारावास (आरआई) की सजा सुनाई।

सीबीआई ने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर यह मामला दर्ज किया। आरोप था कि उन्होंने वर्ष 2009 में एक आपराधिक साजिश रची और लोक सेवक के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया।

जांच के बाद, सीबीआई ने 13 जुलाई 2012 को आरोप पत्र दायर किया। कोर्ट ने आरोपियों पर लगे आरोपों को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया और सजा सुनाई।

Point of View

चाहे वह सत्ता में हो या न हो, अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार है। ऐसे मामलों में न्याय का होना आवश्यक है ताकि लोगों का विश्वास न्याय प्रणाली में बना रहे।
NationPress
07/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या यह मामला विशेष है?
हाँ, यह मामला पुलिस द्वारा हिरासत में हुई मृत्यु से संबंधित है, जो गंभीर अपराध है।
क्या सीबीआई ने पहले भी ऐसे मामलों की जांच की है?
जी हाँ, सीबीआई ने कई मामलों में पुलिस की भूमिका की जांच की है।
सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी क्या कर सकते हैं?
आरोपी अपील करने का अधिकार रखते हैं।
क्या इस फैसले का प्रभाव होगा?
यह फैसला पुलिस की जवाबदेही को बढ़ाने में मदद करेगा।
क्या ऐसे मामलों में न्याय जल्दी मिलता है?
नहीं, ऐसे मामलों में न्याय मिलने में समय लग सकता है।