क्या सीबीआई अदालत ने बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में महिला को सजा सुनाई?

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क्या सीबीआई अदालत ने बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में महिला को सजा सुनाई?

सारांश

सीबीआई अदालत ने मनीषा देवी को बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। यह मामला इस बात पर प्रकाश डालता है कि सीबीआई ने न्याय की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं रखी है, भले ही मामले में वर्षों लग गए हों। जानिए इस मामले के सभी पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • सीबीआई ने मनीषा देवी को दोषी ठहराया।
  • सजा में 50,000 रुपए का जुर्माना शामिल है।
  • यह मामला आठ साल पुराना है।
  • सीबीआई ने न्याय सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
  • लखनऊ में भी धोखाधड़ी के मामले में सजा सुनाई गई है।

नई दिल्ली, 24 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई कोर्ट, गाजियाबाद के विशेष न्यायाधीश ने बुधवार को एक निजी व्यक्ति मनीषा देवी को बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में दोषी ठहराया। जांच एजेंसी ने 50,000 रुपए के जुर्माने के साथ तीन साल, पांच महीने और 15 दिन की कैद की सजा सुनाई।

सीबीआई के अनुसार, उसने 13 सितंबर, 2017 को आरोपी मनीषा देवी और उनके पति, सह-आरोपी कपिल कुमार के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया था।

सीबीआई ने एक प्रेस बयान में कहा, "आरोपी मनीषा देवी पर सह-आरोपी के साथ मिलकर पूरे दस्तावेजों के बिना ऋण के लिए आवेदन करने और अपने नाम पर 99 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत कराने का आरोप लगाया गया है। उनके पति, सह-आरोपी कपिल कुमार पर जाली दस्तावेजों के आधार पर एक प्लॉट खरीदने, खाते से 96 लाख रुपए निकालने और ऋण की शर्तों के विरुद्ध ऋण राशि का दुरुपयोग करने का आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है।"

इस प्रकार, सह-आरोपी के साथ मिलीभगत करके, केनरा बैंक (पूर्ववर्ती सिंडिकेट बैंक), गाजियाबाद के साथ धोखाधड़ी करके मनीषा देवी ने बैंक को 11,766,950 रुपए का गलत नुकसान पहुंचाया।

इसमें आगे कहा गया है कि मनीषा देवी और अन्य सरकारी व निजी व्यक्तियों के खिलाफ 23 दिसंबर, 2021 को आरोप पत्र दायर किया गया था।

आरोपी ने 9 सितंबर, 2025 को विशेष न्यायाधीश, सीबीआई भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय संख्या 1, गाजियाबाद की अदालत में अपना अपराध स्वीकार करते हुए अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

सीबीआई अदालत ने बुधवार को मनीषा देवी की दोषसिद्धि की अर्जी स्वीकार कर ली और उसे दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।

यह मामला इस बात पर प्रकाश डालता है कि इस मामले में लगभग आठ साल लगने के बावजूद, सीबीआई कोई कसर नहीं छोड़ेगी और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की पूरी कोशिश करेगी।

बता दें कि लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने मंगलवार को एक बैंक अधिकारी और दो अन्य को 6.80 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में तीन साल की कैद और 1.25-1.25 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

सीबीआई अदालत ने बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर 2008 में दर्ज एक मामले में बैंक ऑफ इंडिया के उप मुख्य प्रबंधक पंकज खरे और दो निजी व्यक्तियों, राजेश खन्ना और शमशुल हक सिद्दीकी, को दोषी ठहराया और सजा सुनाई।

तीनों को 2004-06 के दौरान हुई धोखाधड़ी के लिए तीन-तीन साल की कैद और 1.25 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई।

Point of View

यह मामला न्याय व्यवस्था की सख्ती को दर्शाता है। सीबीआई ने स्पष्ट किया है कि कोई भी अपराधी कानून से बच नहीं सकता, चाहे मामला कितना भी पुराना हो। यह समाज को एक मजबूत संदेश देता है कि न्याय हमेशा समय पर मिलता है।
NationPress
24/09/2025

Frequently Asked Questions

सीबीआई अदालत ने किस मामले में सजा सुनाई?
सीबीआई अदालत ने मनीषा देवी को बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में दोषी ठहराया और उसे सजा सुनाई।
मनीषा देवी को कितने साल की सजा मिली?
मनीषा देवी को तीन साल, पांच महीने और 15 दिन की कैद की सजा मिली।
क्या आरोप था मनीषा देवी पर?
मनीषा देवी पर बिना दस्तावेजों के ऋण के लिए आवेदन करने और जाली दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी करने का आरोप था।