क्या सीबीआई अदालत ने परीक्षा पेपर लीक मामले में आठ पूर्व रेलवे कर्मचारियों को सुनाई पांच-पांच साल की सजा?

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क्या सीबीआई अदालत ने परीक्षा पेपर लीक मामले में आठ पूर्व रेलवे कर्मचारियों को सुनाई पांच-पांच साल की सजा?

सारांश

सीबीआई अदालत ने परीक्षा पेपर लीक मामले में आठ पूर्व रेलवे कर्मचारियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। यह मामला गंभीर आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा है, जो कि रेलवे विभाग की छवि को प्रभावित करता है। जानें इस मामले की सभी महत्वपूर्ण जानकारी।

Key Takeaways

  • सीबीआई अदालत ने आठ पूर्व रेलवे कर्मचारियों को सजा सुनाई।
  • पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
  • यह मामला परीक्षा पेपर लीक से जुड़ा हुआ है।
  • आपराधिक षडयंत्र और चोरी के आरोप लगे हैं।
  • जांच 2003 में शुरू हुई थी।

अहमदाबाद, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने परीक्षा पेपर लीक मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अदालत ने रेलवे के पूर्व आठ कर्मचारियों को पांच-पांच साल की कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही सभी दोषियों पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।

सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, अहमदाबाद ने सोमवार को इन आठ दोषियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई। आरोपियों पर आपराधिक षडयंत्र, चोरी, चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने, अपराध के साक्ष्य को गायब करने, और आपराधिक कदाचार के मामले में प्रत्येक पर पांच-पांच लाख रुपए (कुल जुर्माना 40,00,000 रुपए) का भी जुर्माना लगाया गया है।

सजा पाने वाले दोषियों में पश्चिम रेलवे, वडोदरा स्थित डीआरएम कार्यालय के तत्कालीन हेड क्लर्क (ईडी) सुनील जसमल गोलानी, वडोदरा मंडल कार्यालय के तत्कालीन सीनियर सिफर ऑपरेटर महेंद्र व्यास, आनंद पश्चिमी रेलवे कंजारी बोरीयावी के तत्कालीन विद्युत सिग्नल अनुरक्षक-III राजेश कुमार गोस्वामी, वडोदरा के तत्कालीन विद्युत सिग्नल अनुरक्षक-III आनंद सोमाभाई मेरैया, वडोदरा मंडल अधिकारी के तत्कालीन हेड क्लर्क (ईडी) के प्रकाश सीतारामदास करमचंदानी, अहमदाबाद पश्चिम रेलवे कांकरिया के तत्कालीन सहायक डीजल चालक महबूब अली अब्दुलजब्बार अंसारी, तत्कालीन डीजल सहायक चालक परेश कुमार लालही भाई पटेल और रेलवे सुरक्षा बल अजमेर के कॉन्स्टेबल पप्पू बब्बा खान शामिल हैं।

सीबीआई ने तत्कालीन मुख्य सतर्कता निरीक्षक, पश्चिम रेलवे, अहमदाबाद की शिकायत पर कर्जन-बोरियावी के ईएसएम-III राजेश गोस्वामी और अन्य रेलवे कर्मचारियों द्वारा प्रश्न पत्र लीक करने के संबंध में मामला दर्ज किया था।

आरोप है कि राजेश गोस्वामी और अन्य अज्ञात रेलवे कर्मचारी, प्राइवेट व्यक्तियों से निर्धारित प्रोबेशनरी असिस्टेंट स्टेशन मास्टर के पद के लिए लिखित परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों से 50,000 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक की राशि वसूल कर रहे थे।

जांच के बाद सीबीआई ने 28 जुलाई 2003 को 8 आरोपियों और एक प्राइवेट व्यक्ति (जिसकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई) के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सुनवाई के बाद अदालत ने सभी अभियुक्तों को दोषी ठहराया और उन्हें सजा सुनाई।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाता है कि इस तरह की आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। सीबीआई का यह निर्णय एक सकारात्मक कदम है, जो न्याय व्यवस्था की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

सीबीआई अदालत ने कितने कर्मचारियों को सजा सुनाई?
सीबीआई अदालत ने परीक्षा पेपर लीक मामले में आठ पूर्व रेलवे कर्मचारियों को सजा सुनाई है।
दोषियों को कितनी सजा मिली?
दोषियों को पांच-पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
जुर्माना कितना लगाया गया है?
प्रत्येक दोषी पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
इस मामले में सीबीआई ने कब जांच शुरू की थी?
सीबीआई ने इस मामले में 28 जुलाई 2003 को जांच शुरू की थी।
क्या इस मामले में किसी प्राइवेट व्यक्ति का नाम है?
हाँ, इस मामले में एक प्राइवेट व्यक्ति भी शामिल था, जिसकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।