क्या चेनारी विधानसभा क्षेत्र बिहार चुनाव में जातीय समीकरण और दल-बदल की महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा?

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क्या चेनारी विधानसभा क्षेत्र बिहार चुनाव में जातीय समीकरण और दल-बदल की महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा?

सारांश

बिहार के रोहतास जिले में स्थित चेनारी विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में जातीय समीकरण और दल-बदल की महत्वपूर्ण भूमिका है। क्या यह क्षेत्र आगामी चुनावों में एक नया मोड़ लाएगा? जानें इस ऐतिहासिक भूमि की चुनौतियां और संभावनाएं।

Key Takeaways

  • चेनारी का क्षेत्र अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है।
  • यहां की राजनीति समाजवादी विचारधारा से प्रभावित है।
  • पासवान और रविदास समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण है।
  • चुनाव में जातीय समीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
  • स्वास्थ्य सेवाओं की कमी एवं सड़कें जर्जर हैं।

पटना, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के रोहतास जिले की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर स्थित चेनारी विधानसभा क्षेत्र राजनीति में एक विशेष पहचान रखता है। यह सीट सासाराम लोकसभा के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। चेनारी मुख्य रूप से चेनारी, रोहतास और नौहट्टा प्रखंडों के साथ शिवसागर प्रखंड की कुछ ग्राम पंचायतों से मिलकर बना है। इसका क्षेत्र सासाराम और डेहरी अनुमंडलों में फैला हुआ है।

यह क्षेत्र अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षित विधानसभा सीट है। चेनारी से 23 किमी पूर्व में सासाराम, 30 किमी पश्चिम में भभुआ, 35 किमी उत्तर-पश्चिम में मोहनिया और 40 किमी उत्तर-पूर्व में नोखा स्थित है। दुर्गावती नदी इस क्षेत्र के पास बहती है, जबकि सोन नदी लगभग 30 किमी दूर है। दोनों नदियां कृषि और जलापूर्ति के लिए जीवनरेखा हैं। चेनारी का एक बड़ा भाग रोहतास पठार पर स्थित है, जो विंध्याचल पर्वतमाला के पूर्वी छोर का हिस्सा है। इस पहाड़ी संरचना के कारण यहां बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट लागू करना चुनौतीपूर्ण साबित होता है।

चेनारी का इतिहास शेरशाह सूरी की सत्ता से जुड़ा हुआ है। यहां से लगभग 13 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित शेरगढ़ किला इस क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान है। इतिहासकारों का मानना है कि यह किला या तो शेरशाह के समय में निर्मित हुआ या उनके शासनकाल में पुनर्निर्मित कर रक्षा-दुर्ग के रूप में इस्तेमाल किया गया। यह इलाका कभी मगध साम्राज्य से लेकर सूर शासन तक प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।

चेनारी एक ग्रामीण बहुल और अविकसित क्षेत्र है। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी सबसे बड़ी समस्या है। यहां की कुछ सड़कें जर्जर हैं, जिससे गांवों के बीच संपर्क कमजोर है। शिक्षा और रोजगार के अवसर भी सीमित हैं, जिससे युवा पलायन कर रहे हैं। पहाड़ी इलाके के कारण सिंचाई और कृषि उत्पादन भी असमान है। ग्रामीण जनता लगातार स्थायी विकास और सरकारी योजनाओं की बेहतर पहुंच की मांग कर रही है।

1962 में अस्तित्व में आने के बाद, चेनारी की राजनीति समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रही है। यहां की जनता ने लंबे समय तक वाम और दक्षिणपंथी दलों से दूरी बनाए रखी है। अब तक हुए 16 विधानसभा चुनावों में (2009 के उपचुनाव सहित) कांग्रेस ने 6 बार, जबकि विभिन्न दलों ने 10 बार जीत दर्ज की है। इनमें जदयू ने 3 बार, जनता दल ने 2 बार जीत दर्ज की है। इसके अलावा, राजद, हिंदुस्तानी समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी, लोक दल और रालोसपा ने 1-1 बार जीत हासिल की है।

2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुरारी प्रसाद गौतम ने जदयू के ललन पासवान को हराकर यह सीट जीती थी, हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, चेनारी की कुल जनसंख्या 5,34,772 है, जिसमें 2,75,349 पुरुष और 2,59,423 महिलाएं शामिल हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 3,15,790 है, जिनमें 1,64,324 पुरुष, 1,51,460 महिलाएं और 6 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं।

चेनारी में पासवान और रविदास समुदाय निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन समुदायों का समर्थन जिस दल को मिलता है, उसकी जीत पक्की मानी जाती है। इसके अलावा, ओबीसी और अल्पसंख्यक मतदाता भी संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

Point of View

बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास की चुनौतियों का सामना भी कर रहा है। आगामी चुनावों में इन मुद्दों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा।
NationPress
01/11/2025

Frequently Asked Questions

चेनारी विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पहचान क्या है?
चेनारी विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पहचान समाजवादी विचारधारा से प्रभावित है और यह अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीट है।
चेनारी का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
चेनारी का ऐतिहासिक महत्व शेरशाह सूरी और शेरगढ़ किले से जुड़ा हुआ है, जो इस क्षेत्र की पहचान को दर्शाता है।