क्या चिदंबरम का बयान ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलत ठहराता है?

सारांश
Key Takeaways
- पी चिदंबरम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलत बताया।
- भाजपा का कहना है कि यह राजनीतिक दुस्साहस था।
- इंदिरा गांधी को पूरी तरह से दोष देना सही नहीं है।
- सिख समुदाय पर इसका गंभीर असर पड़ा।
- यह एक जटिल राजनीतिक निर्णय था।
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को 'गलत तरीका' बताने के बाद से राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल मच गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर तीखा प्रहार करते हुए इसे 'राजनीतिक दुस्साहस' करार दिया है।
चिदंबरम ने यह टिप्पणी हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिटरेरी फेस्टिवल 2025 के दौरान की। वे पत्रकार हरिंदर बावेजा की किताब 'दे विल शूट यू, मैडम' पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार एक गलत तरीका था और इंदिरा गांधी ने इस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई।
चिदंबरम ने आगे कहा कि यह निर्णय केवल इंदिरा गांधी का नहीं था, बल्कि यह सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और प्रशासन का एक सामूहिक निर्णय था। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी को पूरी तरह से दोष देना उचित नहीं है।
चिदंबरम के इस बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार को पूरी तरह से टाला जा सकता था और इंदिरा गांधी ने इसे 1984 के आम चुनावों में राजनीतिक लाभ के लिए किया।
उन्होंने कहा कि यह कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं थी, बल्कि एक राजनीतिक दुस्साहस था। इंदिरा गांधी ने सिख समुदाय को देश विरोधी दिखाने की कोशिश की और खुद ही उस जाल में फंस गईं।
आरपी सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मैं एक राष्ट्रवादी के तौर पर मानता हूं कि ऑपरेशन ब्लू स्टार को टाला जा सकता था। जैसा कि चिदंबरम ने कहा, ऑपरेशन ब्लैक थंडर की तरह एक रणनीतिक तरीका अपनाया जा सकता था, जिसमें स्वर्ण मंदिर की बिजली और पानी काटकर आतंकियों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया गया था। इससे न तो दरबार साहिब और अकाल तख्त की पवित्रता भंग होती और न ही निर्दोष श्रद्धालुओं की जान जाती।"
आरपी सिंह ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए टकराव का रास्ता चुना और इसकी कीमत जान देकर चुकाई। लेकिन असली त्रासदी सिख समुदाय ने झेली। दिल्ली में 3,000 से अधिक सिखों का नरसंहार हुआ और पंजाब में 30,000 से ज्यादा लोग मारे गए। यह एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश थी, जिसने देश की सामाजिक एकता को तोड़ दिया।
दिल्ली के पूर्व मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी चिदंबरम के बयान पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, "यह कहना कि इंदिरा गांधी जिम्मेदार नहीं थीं, बिल्कुल गलत है। बतौर प्रधानमंत्री यह उनका पूर्णतः जागरूक निर्णय था। उन्होंने सिखों के प्रति नफरत के चलते यह कदम उठाया, जिसमें हजारों सिख मारे गए। कांग्रेस भले अब इसे गलती मान रही हो, लेकिन सिख समुदाय न कांग्रेस को भूलेगा, न इंदिरा गांधी को।"