क्या चीन के विदेश मंत्री भारत पहुंचे? द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा होगी

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क्या चीन के विदेश मंत्री भारत पहुंचे? द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा होगी

सारांश

चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस यात्रा में सीमा मुद्दों से लेकर व्यापार तक कई महत्वपूर्ण चर्चाएं होंगी। क्या यह यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगी?

Key Takeaways

  • चीन के विदेश मंत्री की भारत यात्रा महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता का हिस्सा है।
  • बातचीत में सीमा मुद्दों का समाधान और व्यापार संबंधों की बहाली पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • यह यात्रा पीएम मोदी की चीन यात्रा से पहले हो रही है, जो संबंधों को स्थिर करने का एक कदम है।

नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार को दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे। इस दौरान वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की वार्ता का नया दौर करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने एक्स पर उनके आगमन की जानकारी देते हुए लिखा, “चीन के विदेश मंत्री वांग यी का नई दिल्ली में आधिकारिक दौरे पर स्वागत है। अगले दो दिनों में भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों की बैठक और द्विपक्षीय संबंधों पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श होंगे।”

इसी बीच, बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वांग यी की भारत यात्रा से दोनों देशों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी के बीच पिछले वर्ष बनी सहमति को लागू करने में मदद मिलेगी। चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर उच्च स्तरीय संवाद को बनाए रखने, आपसी राजनीतिक विश्वास बढ़ाने, व्यावहारिक सहयोग को मजबूत करने, मतभेदों का प्रबंधन करने और संबंधों को स्थिर व स्वस्थ रूप से आगे बढ़ाने का इच्छुक है।

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सीमा स्थिति, व्यापार और उड़ान सेवाओं की बहाली समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। मंगलवार को वांग यी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी से भी भेंट करेंगे। यह बैठक खास मानी जा रही है क्योंकि इसके बाद पीएम मोदी इस माह के अंत में तिआनजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे।

गौरतलब है कि यह पीएम मोदी की 2020 के गलवान संघर्ष के बाद पहली चीन यात्रा होगी। उस समय एलएसी पर हुए टकराव ने द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। हाल ही में भारत और चीन के बीच गश्ती समझौते पर सहमति बनी है, जिसके बाद चार साल लंबे सीमा गतिरोध को समाप्त करने का रास्ता खुला।

इससे पहले जुलाई में विदेश मंत्री जयशंकर चीन गए थे, जहां उन्होंने एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया और वांग यी से द्विपक्षीय वार्ता भी की थी। जून में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चीन का दौरा किया था, लेकिन भारत ने आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं को शामिल न करने के कारण एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।

जुलाई में ही एनएसए अजीत डोभाल भी एससीओ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेने बीजिंग पहुंचे थे। उन्होंने वहां अपने वक्तव्य में दोहरे मापदंड छोड़ने और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसी संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।

Point of View

जो भारत और चीन के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगा। द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल है।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत क्यों आए हैं?
वांग यी की यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और सीमा मुद्दों पर चर्चा करना है।
इस यात्रा में कौन-कौन से मुद्दों पर चर्चा होगी?
इस यात्रा में सीमा स्थिति, व्यापार, और उड़ान सेवाओं की बहाली जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।
क्या इस यात्रा का भारत और चीन के संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा?
हां, यह यात्रा दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ाने और सहयोग को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी।