क्या चीन की जिम्मेदारी को प्रदर्शित करती है वैश्विक शासन पहल?

सारांश
Key Takeaways
- वैश्विक शासन पहल का महत्व बढ़ रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना आवश्यक है।
- जन-केंद्रितता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- बहुपक्षवाद का अभ्यास करना चाहिए।
- संप्रभु समानता को बनाए रखना जरूरी है।
बीजिंग, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र 1 सितंबर को चीन के थ्येनचिन शहर में आयोजित "शंघाई सहयोग संगठन प्लस" सम्मेलन पर है, जहां चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पहली बार वैश्विक शासन पहल पेश की। उस दिन के एससीओ शिखर सम्मेलन के सफल परिणाम इस पहल की जीवंतता और आकर्षण का स्पष्ट प्रमाण हैं।
युग विचारों की जननी है। अस्सी वर्ष पूर्व, दो विश्व युद्धों के कठिन अनुभवों पर गहन चिंतन के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का निर्णय लिया, जिससे वैश्विक शासन के एक नए युग की शुरुआत हुई। आज, अस्सी साल बाद, हमारे युग की प्रवृत्तियां—शांति, विकास, सहयोग और सर्व-विजयी परिणाम में कोई बदलाव नहीं आया है, फिर भी मानवता के सामने विविध और जटिल वैश्विक चुनौतियां खड़ी हैं। इसके साथ ही, एकपक्षीयता और सत्ता के खेल ने संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय तंत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, और वैश्विक शासन की कमी लगातार बढ़ती जा रही है।
इस बार के एससीओ थ्येनचिन शिखर सम्मेलन में, राष्ट्रपति शी ने पहली बार एक वैश्विक शासन पहल प्रस्तुत की, जिसमें "संप्रभु समानता को बनाए रखना", "अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन", "बहुपक्षवाद का अभ्यास करना", "जन-केंद्रितता की वकालत करना" और "कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करना" जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया गया। इन पांच अवधारणाओं में बुनियादी आधार, मौलिक गारंटी, मूल मार्ग, मूल्य अभिविन्यास और महत्वपूर्ण सिद्धांत शामिल हैं। ये सभी संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप हैं और अधिकांश देशों की साझा अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)