क्या 2015 और 2024 के बीच भारत में टीबी के मामलों में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है?: जेपी नड्डा
सारांश
Key Takeaways
- 2015 से 2024 के बीच भारत में टीबी के मामलों में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- राजस्थान के सांसदों से बातचीत में टीबी रोकथाम के उपायों पर चर्चा हुई।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 90 प्रतिशत उपचार सफलता दर है।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार टीबी (क्षय रोग) के खिलाफ अपनी मुहिम को लगातार आगे बढ़ा रही है। इस संदर्भ में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने 'टीबी मुक्त भारत' के लिए राजनीतिक सहयोग को और मज़बूत करने के लिए सोमवार को संसद के चल रहे सत्र के दौरान राजस्थान के सांसदों से संवाद किया।
यह सत्र विभिन्न राज्यों के सांसदों के साथ लगातार चल रहे ब्रीफिंग सत्र का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत में टीबी के खिलाफ लड़ाई में सामूहिक नेतृत्व को मज़बूत करना है।
आज के सत्र में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, केंद्रीय रेल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, और राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों सदनों के सांसद संसद भवन एनेक्सी एक्सटेंशन में उपस्थित रहे। इस विचार-विमर्श में टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति में तेजी लाने में निर्वाचित प्रतिनिधियों की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया गया।
नड्डा ने राजस्थान के सांसदों के नेतृत्व और भागीदारी की सराहना करते हुए टीबी की जांच और उपचार तक पहुंच बढ़ाने में राज्य की उपलब्धियों की प्रशंसा की और बिना लक्षण वाले टीबी की चुनौती का सामना करने के लिए सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि 2015 और 2024 के बीच भारत में टीबी के मामलों में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो वैश्विक दर से लगभग दोगुनी है। साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2025 के अनुसार, देश में अब 90 प्रतिशत उपचार सफलता दर दर्ज की गई है।
केंद्रीय मंत्री ने सांसदों से जिला स्तरीय कार्रवाई को मज़बूत करने और टीबी के कलंक को दूर करने तथा समय पर निदान और देखभाल सुनिश्चित करने के लिए समुदायों को संगठित करने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि टीबी मुक्त भारत पहल इस बात का उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी मिलकर एक सदियों पुरानी जन स्वास्थ्य चुनौती का समाधान कर सकते हैं।
उन्होंने टीबी से प्रभावित लोगों को पोषण, मानसिक और आजीविका संबंधी सहायता प्रदान करने वाली सामुदायिक पहलों को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।