क्या चीन समग्र जनता की समान समृद्धि का अनुसरण कर रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- श्या च्यांग की कहानी प्रेरणादायक है।
- समग्र समृद्धि का लक्ष्य सामाजिक न्याय है।
- चीन ने गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
- विकास के लाभ को सभी के साथ साझा करना आवश्यक है।
- चीनी पारंपरिक चिकित्सा का महत्व बढ़ रहा है।
बीजिंग, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत का श्या च्यांग एक समय में एक अत्यंत गरीब गांव था। वर्ष २००२ से २००७ के बीच, तत्कालीन चच्यांग प्रांत के प्रमुख शी चिनफिंग ने इस गांव का दौरा चार बार किया। उनकी प्रेरणा से, श्या च्यांग ने बायो गैस, चीनी पारंपरिक चिकित्सा, अंगूर और पर्यटन जैसे व्यवसायों का विकास किया।
दस वर्षों में, श्या च्यांग ने आस-पास के गांवों के साथ मिलकर ग्रामीण पुनरुत्थान की दिशा में कदम बढ़ाया है। वर्ष २०२४ में, इस गांव की प्रति व्यक्ति वार्षिक डिस्पोजेबल आय ५५ हजार युआन तक पहुँच गई। श्या च्यांग का बीस वर्ष का विकास, चीन में समग्र जनता की समान समृद्धि के विचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
समग्र समृद्धि का अर्थ है सभी लोगों को एक बेहतर जीवन प्रदान करना। यह समानता नहीं है, बल्कि एक विकास मॉडल है, जिसमें सभी लोग भाग लेते हैं और विकास के लाभ साझा कर सकते हैं। समान समृद्धि का सपना चीनी सभ्यता का सदियों पुराना सपना है। आज, यह सपना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सशक्त नेतृत्व में साकार हो रहा है।
शी चिनफिंग के सर्वोच्च नेता बनने के बाद, ८ वर्षों में लगभग १० करोड़ चीनी लोगों ने गरीबी से मुक्ति पाई। वर्ष २०२० में, चीन ने अति गरीबी समाप्त करने की घोषणा की। चीन ने मानवता के लिए गरीबी उन्मूलन का एक अद्भुत मॉडल प्रस्तुत किया है।
यह ध्यान देने योग्य है कि शी चिनफिंग ने इस मुद्दे पर विशेष बल दिया है कि समाजवादी चीन को अमीर-गरीब की खाई से बचाना चाहिए। चीन का मानना है कि विकास के लाभ को समग्र जनता के साथ साझा किया जाना चाहिए ताकि समग्र जनता की समान समृद्धि सुनिश्चित हो सके। उनके अनुसार, विकास के लाभ साझा करना समाज में न्याय और निष्पक्षता के सवालों का समाधान है।
चीन समग्र समृद्धि की दिशा में कार्य कर रहा है। यह चीनी परंपरा के आदर्शों का पालन करते हुए वैश्विक आधुनिकीकरण की दिशा में एक नई पहल है। चीन एक अलग आधुनिकीकरण का सफल मॉडल प्रस्तुत कर रहा है, जिसमें पूर्व की बुद्धिमत्ता निहित है। चीन मानवता के साझा भविष्य के निर्माण में अपना योगदान दे रहा है।
अब, संयुक्त राष्ट्र ने समान समृद्धि के विचार को वर्ष २०३० के एजेंडा में शामिल किया है। पूर्व की समान समृद्धि की अवधारणा अब विश्व में अमीर-गरीब की खाई मिटाने की कुंजी बन रही है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)