क्या चिरैया में भाजपा की हैट्रिक 2025 में चौथी जीत की राह बनाएगी?
सारांश
Key Takeaways
- सिंचाई की कमी किसानों के लिए बड़ी चुनौती है।
- पलायन युवाओं के लिए एक गंभीर समस्या है।
- भाजपा ने लगातार तीन बार चिरैया में जीत दर्ज की है।
- चुनाव आयोग के अनुसार, यहाँ की कुल आबादी 5,08,987 है।
- बाढ़ नियंत्रण और शिक्षा भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।
पूर्वी चंपारण, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पूर्वी चंपारण की चिरैया सीट को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जा रहा है, जहाँ पर सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और पलायन जैसे प्रमुख मुद्दे हैं।
चिरैया कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था वाली सीट है। बागमती नदी यहाँ के लिए वरदान है, लेकिन सिंचाई की कमी किसानों को परेशान करती है। बरसात में सहायता मिलती है, पर बाकी समय पानी के संग्रहण और वितरण की कमी बनी रहती है। रोजगारदिल्ली, मुंबई और पंजाब पलायन कर रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क संपर्क में कमी है। भारत-नेपाल सीमा के निकट होने के कारण तस्करी और अवैध प्रवेश की समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं।
चिरैया विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 के परिसीमन के बाद हुआ। इसमें चिरैया और पताही प्रखंड शामिल हैं। अब तक तीन चुनाव (2010, 2015, 2020) हो चुके हैं और तीनों बार भाजपा ने जीतअवनीश कुमार सिंह ने राजद को 14,828 वोटों से हराया। 2015 में नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी का विरोध करने पर सिंह को निलंबित कर भाजपा ने लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को मौका दिया।
जदयू के एनडीए से अलग होने और राजद से गठबंधन के बावजूद गुप्ता ने 4,374 वोटों से जीत प्राप्त की। 2020 में जदयू के एनडीए में लौटने पर गुप्ता ने राजद को 16,874 वोटों से पराजित किया। 2025 में भाजपा ने फिर गुप्ता पर भरोसा जताया है।
पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट में भी चिरैया भाजपा-जदयू गठबंधन की ताकत दर्शाती है। इसमें 2009 में 21,888, 2014 में 4,374, 2019 में 54,972 और 2024 में जदयू को 8,490 वोटों की बढ़त मिली। भौगोलिक स्थिति को देखें तो जिला मुख्यालय मोतिहारी (25 किमी), ढाका (20 किमी), रक्सौल (60 किमी), केसरिया (40 किमी) और मुजफ्फरपुर (90 किमी) प्रमुख केंद्र हैं। नेपाल की ओर बीरगंज, गौर और जनकपुर निकट हैं।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र की कुल आबादी 5,08,987 है, जिनमें 2,68,201 पुरुष और 2,40,786 महिलाएं शामिल हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 2,98,789 है, जिसमें 1,58,968 पुरुष, 1,39,810 महिलाएं और 11 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं। 2020 में यहाँ 56.64 प्रतिशत मतदान हुआ था।
यहाँ के लोगों के लिए सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, पलायन, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख मुद्दे हैं।