क्या चुनाव आयोग के फैक्ट चेक में कई राज्यों के ई-मतदाता सूची हटाने का दावा गलत है?

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग ने कई राज्यों की ई-मतदाता सूची हटाने के दावे को गलत बताया।
- राहुल गांधी ने मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया।
- अंकित मयंक द्वारा किया गया दावा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
- चुनाव आयोग ने पारदर्शिता के साथ अपनी स्थिति स्पष्ट की।
- बिहार में इस साल चुनाव होने हैं।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को उस दावे को गलत बताया, जिसमें कई राज्यों की ई-मतदाता सूची हटाने का दावा किया गया था।
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उनके इस बयान के बाद एक कांग्रेस समर्थक ने मुख्य चुनाव आयोग पर कई राज्यों की ई-मतदाता सूची हटाने का आरोप लगाया। लेकिन, चुनाव आयोग ने शुक्रवार को फैक्ट चेक करते हुए इसे गलत बताया।
कांग्रेस समर्थक अंकित मयंक, जिसके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर 88.4 हजार फॉलोअर्स हैं, ने एक पोस्ट के द्वारा दावा किया कि चुनाव आयोग ने देर रात कई राज्यों की ई-मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट से हटा दिया है। उन्होंने लिखा, "चुनाव आयोग ने रातों-रात कई राज्यों की ई-मतदाता सूची अपनी वेबसाइट से हटा दी है। बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश- सभी हटा दिए गए। चुनाव आयोग और भाजपा इतने डरे हुए क्यों हैं?"
अंकित मयंक के इस पोस्ट पर खबर लिखे जाने तक करीब 10 हजार कमेंट, तीन हजार री-पोस्ट और 2.80 लाख इंगेजमेंट आ चुके थे।
हालांकि चुनाव आयोग ने अंकित मयंक के दावे को गलत बताया। भारतीय चुनाव आयोग की अधिकारिक 'एक्स' हैंडल से एक लिंक साझा किया गया। पोस्ट में लिखा, "कोई भी व्यक्ति इस लिंक के माध्यम से 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूची डाउनलोड कर सकता है।"
उल्लेखनीय है कि बिहार में इस साल चुनाव होने हैं। चुनावी वर्ष में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरोध को लेकर अधिकतर विपक्षी पार्टियां लामबंद होती दिख रही हैं। राहुल गांधी ने पूर्व में कई बार कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में वोट चोरी का दावा किया है। इसी बीच उन्होंने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मतदाता सूची में कथित रूप से गड़बड़ी की बात दोहराई।
हालांकि, चुनाव आयोग एसआईआर को एक सामान्य प्रक्रिया बता रहा है, ताकि फर्जी वोटर्स को लिस्ट से बाहर किया जा सके।