क्या कांग्रेस की समीक्षा बैठक में नेताओं के विवाद ने पार्टी की छवि को प्रभावित किया?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस की समीक्षा बैठक में विवाद हुआ।
- गजानंद शाही ने कांग्रेस के संस्कृति की आलोचना की।
- बैठक में तनावपूर्ण माहौल उत्पन्न हुआ।
- कांग्रेस की नई रणनीति पर कोई जानकारी नहीं है।
- बिहार में संगठन कमजोर है।
पटना, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में भारी हार के बाद दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें नेताओं के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। इस पर कांग्रेस के पूर्व नेता गजानंद शाही ने कहा कि कांग्रेस का संस्कृति ऐसा नहीं था, इस तरह की घटनाएँ पार्टी की छवि को प्रभावित करती हैं।
गजानंद शाही ने संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा, "यह बहुत ही नकारात्मक बात है। यह कांग्रेस का संस्कृति नहीं है। मैंने 50-55 वर्षों से कांग्रेस को देखा है, लेकिन मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा। आमतौर पर गहमागहमी होती है, लेकिन गुरुवार को जो हुआ, वह अत्यंत दुखद था। ऐसा माहौल हमने कभी नहीं देखा था, यह बेहद खराब था।"
उन्होंने कहा कि पहले भी बैठकें होती थीं, लोग चर्चा करते थे, लेकिन किसी को मारने की धमकी नहीं दी जाती थी। जहां पर तीन-चार लोग बैठकर बात करते हैं, वहां विवाद हो सकता है, लेकिन हम बैठक के बाद एक साथ होते थे।
ज्ञात हो कि कांग्रेस की समीक्षा बैठक में बिहार के वैशाली से कांग्रेस प्रत्याशी रहे इंजीनियर संजीव और पूर्णिया से चुनाव लड़ने वाले जितेंद्र यादव के बीच नोकझोंक इतनी बढ़ गई कि माहौल तनावपूर्ण हो गया था।
चुनाव को लेकर कांग्रेस द्वारा बनाई गई नई रणनीति पर गजानंद शाही ने कहा कि इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। समय ही बताएगा कि यह रणनीति कितनी प्रभावी है। यदि यह अच्छी होगी, तो हम भाजपा को रोक सकते हैं।
वहीं, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, "बिहार में हमारा संगठन कमजोर है। हम इससे इनकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। देखते हैं हम कितना आगे बढ़ सकते हैं। हम इस पर विचार कर रहे हैं, जो आने वाले समय में लोगों को दिखाई देगा।"
असम सरकार द्वारा बहुविवाह पर रोक संबंधी कानून पर संदीप दीक्षित ने कहा, "मैं खुद चाहता हूं कि बहुविवाह की प्रथा रहे, लेकिन इसके लिए जेल जाने का सवाल ही नहीं उठता। बहुविवाह केवल मुसलमानों में नहीं, बल्कि आदिवासियों में भी होती है, तो क्या आप उन्हें भी जेल में डाल देंगे? यह कानून सामाजिक सुधार के लिए है, तो आप दहेज प्रथा के खिलाफ कानून क्यों नहीं बना रहे हैं? यह तो हर जगह देखने को मिल रहा है, लेकिन कोई इस पर विचार नहीं कर रहा है।"