क्या दिसंबर में आम आदमी को राहत मिलेगी? ब्याज दरें 0.25 प्रतिशत घटने की संभावना: मॉर्गन स्टेनली

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क्या दिसंबर में आम आदमी को राहत मिलेगी? ब्याज दरें 0.25 प्रतिशत घटने की संभावना: मॉर्गन स्टेनली

सारांश

क्या दिसंबर में आम आदमी को राहत मिलने की संभावना है? मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ब्याज दरें घटा सकता है, इससे रेपो रेट 5.25 प्रतिशत हो जाएगी। जानिए इस रिपोर्ट के पीछे की कहानी और इसका अर्थ।

Key Takeaways

  • मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
  • रेपो रेट 5.25 प्रतिशत तक जा सकता है।
  • सरकार वित्तीय व्यावहारिकता बनाए रखते हुए पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित करेगी।
  • महंगाई दर 2025 के निचले स्तरों से बढ़ने की संभावना है।
  • भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के एक प्रतिशत से कम रहेगा।

मुंबई, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व की प्रमुख वित्तीय संस्थाओं में से एक मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कमी कर सकता है, जिससे रेपो रेट 5.25 प्रतिशत पर आ जाएगी।

आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक 3-5 दिसंबर के बीच प्रस्तावित है, जिसमें ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी।

मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि मौद्रिक नीति का रुख विवेकपूर्ण बना रहेगा। हालांकि, इस कटौती के बाद केंद्रीय बैंक भविष्य के निर्णयों के लिए डेटा पर निर्भर रह सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ब्याज दरों, तरलता की स्थिति और नियामक उपायों को ध्यान में रखते हुए अपने त्रि-आयामी सहजता चक्र का मूल्यांकन करते समय वेट एंड वॉच की स्थिति अपनाएगा। इससे आरबीआई को भविष्य में कोई भी कदम उठाने से पहले यह आकलन करने का अवसर मिलेगा कि ये परिवर्तन घरेलू विकास पैटर्न और मुद्रास्फीति संकेतकों के साथ किस प्रकार तालमेल बिठाते हैं।

देश की राजकोषीय नीति के संदर्भ में, रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार राजकोषीय व्यावहारिकता का पालन करना जारी रखेगी, पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देते हुए क्रमिक समेकन पर ध्यान केंद्रित करेगी। साथ ही कहा गया कि मध्य अवधि के आर्थिक विस्तार को बनाए रखने के लिए ये उपाय आवश्यक हैं।

मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि भारत में खुदरा महंगाई दर 2025 के निचले स्तरों से वित्त वर्ष 2026-27 में मामूली रूप से बढ़ सकती है। हालांकि, यह आरबीआई के मध्य अवधि के लक्ष्य 4 प्रतिशत के आसपास ही रहेगी।

वैश्विक वित्तीय फर्म का कहना है कि भारत का चालू खाता घाटा भी जीडीपी के एक प्रतिशत के नीचे बने रहने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर अस्थिरता होने के बावजूद देश का सेवा निर्यात लगातार बढ़ने की उम्मीद है और इससे भारत का वैश्विक हिस्सा 5.1 प्रतिशत रहेगा।

भारत की बाह्य संतुलन रिपोर्ट निरंतर मजबूत और स्थिर बने रहने की संभावना है, जिसे विदेशी मुद्रा भंडार और कम बाहरी ऋण-से-जीडीपी अनुपात से समर्थन मिलने की उम्मीद है।

Point of View

हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह निर्णय डेटा पर आधारित होगा। सरकार की वित्तीय नीतियों का स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।
NationPress
19/11/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई ब्याज दरों में कटौती क्यों कर रहा है?
आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके और महंगाई को नियंत्रित किया जा सके।
रेपो रेट का क्या महत्व है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक केंद्रीय बैंक से पैसे उधार लेते हैं, इसका सीधा असर लोन और बचत दरों पर पड़ता है।
क्या यह कटौती स्थायी होगी?
यह कटौती स्थायी नहीं हो सकती है, क्योंकि आरबीआई भविष्य के डेटा और आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर निर्णय ले सकता है।
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