क्या भारतीय कंपनियों के लिए एआई और जलवायु परिवर्तन 2028 तक बनेंगे प्रमुख व्यापार जोखिम?
सारांश
Key Takeaways
- साइबर अटैक और डेटा ब्रीच भारतीय कंपनियों के लिए प्रमुख जोखिम हैं।
- 2028 तक एआई और जलवायु परिवर्तन को भविष्य के जोखिम के रूप में चिह्नित किया गया है।
- 70 प्रतिशत कंपनियों ने जोखिम प्रबंधन के लिए टीम बनाई है।
- 400 से अधिक स्टार्टअप्स भारत की साइबरसिक्योरिटी को मजबूत कर रहे हैं।
- 92.9 प्रतिशत कंपनियों के पास साइबर अटैक की योजनाएँ हैं।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय कंपनियों ने साइबर अटैक और डेटा ब्रीच को अपने शीर्ष व्यापार जोखिम के रूप में पहचाना है, जबकि 2028 तक एआई और जलवायु परिवर्तन को भविष्य के प्रमुख व्यापार जोखिम के रूप में चिह्नित किया है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई है।
ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विस फर्म एऑन ने बताया कि प्रतिभा को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने में कठिनाइयाँ बनी हुई हैं, जबकि प्रॉपर्टी डैमेज और एक्सचेंज रेट फ्लक्चुएशन भारत में एशिया के अन्य देशों की तुलना में अधिक हैं।
एऑन के भारत के सीईओ ऋषि मेहरा ने कहा, "भारतीय व्यवसाय डिजिटल व्यवधान, टैलेंट अडैप्टेबिलिटी और भू-राजनीतिक बदलावों के बीच उल्लेखनीय एजिलिटी का प्रदर्शन कर रहे हैं।"
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 77.8 प्रतिशत भारतीय उत्तरदाताओं का कहना है कि उन्हें प्रॉपर्टी डैमेज से नुकसान हुआ है, 46.2 प्रतिशत व्यवसाय बाधित हुए हैं और 63.6 प्रतिशत एक्सचेंज रेट फ्लक्चुएशन से प्रभावित हुए हैं।
लगभग आधे उत्तरदाताओं के लिए टैलेंट से जुड़ी चुनौतियाँ और कैश फ्लो/लिक्विडिटी के कारण नुकसान हुआ है।
जोखिम प्रबंधन का औपचारिकीकरण तेजी से हो रहा है, जिसमें 70 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने डेडिकेटेड रिस्क और इंश्योरेंस टीम का गठन किया है। 64.9 प्रतिशत उत्तरदाता इंश्योरबल रिस्क की कुल लागत को माप रहे हैं।
92.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं के पास साइबर अटैक के लिए योजनाएँ और फॉर्मल रिव्यूज हैं। 90.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं के पास प्रॉपर्टी डैमेज के लिए योजनाएँ हैं। 55 प्रतिशत उत्तरदाता टैलेंट रिटेंशन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
आईटी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 400 से अधिक स्टार्टअप्स और 6.5 लाख पेशेवरों का एक कुशल कार्यबल 20 अरब डॉलरसाइबरसिक्योरिटी इंडस्ट्री को सशक्त बना रहा है, जिससे भारत ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी हब के रूप में तेजी से उभर रहा है।
सीईआरटी-इन रिसर्च सहयोग, इंटरनेशनल फोरम में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए एक मजबूत और विश्वसनीय साइबर डिफेंस आर्किटेक्चर बना रहा है, जो डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण से जुड़ा है।