क्या दिल्ली ब्लास्ट के बाद अलफलाह यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ गई हैं?
सारांश
Key Takeaways
- अलफलाह यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ी हैं।
- एनएएसी ने फर्जी एक्रेडिटेशन के लिए नोटिस जारी किया।
- ईडी यूनिवर्सिटी की फंडिंग की जांच कर रहा है।
- यूनिवर्सिटी ने ब्लास्ट से कोई संबंध होने से इनकार किया।
- वेबसाइट डाउन होने से चिंताएँ बढ़ी हैं।
नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के रेड फोर्ट के निकट 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट के पश्चात अलफलाह यूनिवर्सिटी की समस्याएँ बढ़ गई हैं। नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) ने यूनिवर्सिटी को फर्जी एक्रेडिटेशन दावे के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी यूनिवर्सिटी की फंडिंग पर फॉरेंसिक ऑडिट करने की योजना बना रहा है।
एनएएसी के निदेशक गणेशन कन्नाबिरण ने 12 नवंबर को जारी नोटिस में कहा कि अलफलाह यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर गलत जानकारी दी है। यूनिवर्सिटी का दावा है कि उसके तीन कॉलेज, अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (1997 से, एनएएसी ए ग्रेड), ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (2008 से) और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से, एनएएसी ए ग्रेड) एनएएसी मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन एनएएसी ने स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग स्कूल को 2013-2018 तक (सीजीपीए 3.08) और एजुकेशन स्कूल को 2011-2016 तक (सीजीपीए 3.16) 'ए' ग्रेड मिला था, जो अब समाप्त हो चुका है।
एनएएसी ने इसे जनता, अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करने वाला बताया। नोटिस में कई सवाल पूछे गए हैं, जिनका यूनिवर्सिटी को 7 दिनों में उत्तर देना होगा। तब तक वेबसाइट से एनएएसी का उल्लेख हटाना अनिवार्य है। नोटिस के बाद यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई है।
वहीं, दूसरी ओर, ईडी ने यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू कर दी है। दिल्ली ब्लास्ट मामले में आरोपी डॉक्टरों- डॉ. उमर नबी, डॉ. मुजम्मिल गनाई और डॉ. शाहीन सईद के लेन-देन की जांच की जाएगी। इन डॉक्टरों ने 20 लाख रुपए इकट्ठा कर 26 क्विंटल एनपीके फर्टिलाइजर खरीदा, जो आईईडी बनाने के लिए इस्तेमाल हुआ।
ईडी फॉरेंसिक ऑडिट के माध्यम से विदेशी फंडिंग का पता लगाने का प्रयास करेगी। अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने विदेशी फंडिंग से इनकार किया है, लेकिन जांच में सहयोग का दावा किया है।
यह ध्यान देने योग्य है कि फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़ और दिल्ली के लाल किले के निकट हुए ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम गलत कारणों से चर्चाओं में है। इसी को देखते हुए अब यूनिवर्सिटी ने अपनी तरफ से आधिकारिक बयान जारी किया है कि हमारा इस ब्लास्ट से कोई लेना-देना नहीं है। जिस तरह से इस ब्लास्ट के बाद हमारी यूनिवर्सिटी का नाम लिया जा रहा है, उससे इसकी गरिमा को ठेस पहुँच रही है। हमारे संज्ञान में यह भी आया है कि कई सोशल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हमारी यूनिवर्सिटी के संबंध में मनगढ़ंत और झूठे बयान जारी किए जा रहे हैं, जिनमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है।