क्या दिल्ली दंगा मामले में तस्लीम अहमद और अन्य को हाईकोर्ट से झटका मिला?

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क्या दिल्ली दंगा मामले में तस्लीम अहमद और अन्य को हाईकोर्ट से झटका मिला?

सारांश

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जानें, क्यों जमानत याचिकाएं खारिज हुईं और इसके पीछे के कारण क्या हैं। इस विषय की गंभीरता और जटिलता को समझना आवश्यक है।

Key Takeaways

  • दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला महत्वपूर्ण है।
  • तस्लीम अहमद और अन्य की जमानत याचिकाएं खारिज।
  • दंगों की साजिश में यूएपीए का आरोप।
  • 53 लोग मारे गए, 700 घायल हुए।
  • सामाजिक कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप।

नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में वर्ष 2020 में हुए भीषण दंगों की साजिश से संबंधित मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने यूएपीए के तहत आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। तस्लीम पिछले 5 वर्षों से कारागार में है और उसने लंबी कैद का हवाला देते हुए जमानत मांगी थी।

तस्लीम अहमद के साथ ही इस मामले से जुड़े उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

अदालत ने कहा कि यह केवल दंगे का मामला नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है, जिसका उद्देश्य देश में हिंसा फैलाना और भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करना था।

अभियोजन पक्ष की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह एक गहरी साजिश थी, जो देश की एकता और अखंडता के खिलाफ थी। उन्होंने कहा कि केवल इस आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती कि आरोपी कई वर्षों से जेल में हैं।

वहीं, शरजील इमाम के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि उसका दंगे के स्थान और समय से कोई संबंध नहीं था और उसने कभी भी अपने भाषणों में हिंसा या दंगे के लिए उकसाया नहीं। वकील ने व्हाट्सएप चैट और सार्वजनिक भाषणों के माध्यम से यह साबित करने की कोशिश की कि शरजील की किसी भी प्रकार की हिंसा में सीधी भूमिका नहीं थी।

अदालत ने अभियोजन पक्ष के तर्कों को प्राथमिकता देते हुए सभी आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

ज्ञात रहे कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। इस मामले में कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र नेताओं पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

शरजील इमाम को 25 अगस्त 2020 को गिरफ्तार किया गया था।

Point of View

यह मामला भारत की एकता और अखंडता के लिए गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। अदालत का यह निर्णय दिखाता है कि कानून का शासन और न्याय की प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है। हमें सभी आरोपियों के अधिकारों का सम्मान करते हुए, सच्चाई और न्याय की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
02/09/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली दंगा मामला क्या है?
दिल्ली दंगा मामला 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश से संबंधित है, जिसमें कई लोगों की जानें गईं और कई घायल हुए।
तस्लीम अहमद को कब गिरफ्तार किया गया?
तस्लीम अहमद को 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वह पिछले 5 वर्षों से जेल में है।
हाईकोर्ट ने जमानत याचिका क्यों खारिज की?
हाईकोर्ट ने कहा कि यह केवल दंगे का मामला नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है, जिसका उद्देश्य भारत की छवि को धूमिल करना था।
इस मामले में कितने लोग मारे गए थे?
इस मामले में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
क्या शरजील इमाम की कोई भूमिका थी?
शरजील इमाम के वकील ने अदालत में दावा किया कि उनकी दंगे में कोई भूमिका नहीं थी।