क्या दिल्ली हाईकोर्ट ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना की निंदा की?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली हाईकोर्ट ने सीजेआई पर जूता फेंकने की घटना की निंदा की।
- यह घटना न्यायपालिका की गरिमा को प्रभावित करती है।
- याचिकाकर्ता ने वीडियो हटाने की मांग की।
- अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने याचिकाकर्ता की चिंताओं का समर्थन किया।
- भविष्य में ऐसी घटनाओं के लिए पहचान छिपाने का सुझाव दिया गया।
नई दिल्ली, १२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना की कड़ी निंदा की है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की यह घटना सभी को आहत करती है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें इस घटना से संबंधित वीडियो को हटाने की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना से जुड़े सभी वीडियो को मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाया जाए। इसके साथ ही, जूता फेंकने वाले वकील के बयान को भी हटाने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांग रहे हैं कि यदि भविष्य में ऐसी घटनाएं होती हैं, तो व्यक्ति की पहचान को छिपाया जाए ताकि उन्हें प्रचार न मिले।
हाईकोर्ट में बुधवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए और उन्होंने कहा कि वह याचिकाकर्ता की चिंताओं से सहमत हैं।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, "हम आपकी चिंताओं को समझते हैं। इसने न केवल बार के सदस्यों को, बल्कि बेंच को भी आहत किया है। यह किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि पूरी संस्था का मामला है। समाज में ऐसी घटनाओं की न केवल निंदा की जानी चाहिए, बल्कि कुछ कदम उठाए जाने चाहिए।"
हालांकि, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी है। अदालत ने कहा, "इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से केस लंबित हैं, जिसमें जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है। इसलिए आप भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित केस में अपना आवेदन दाखिल करें। यदि वहां आप पक्षकार नहीं बन पाते हैं, तो हाईकोर्ट फिर इस अर्जी पर सुनवाई करेगा।"