क्या दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएफआई की याचिका को सुनवाई योग्य माना?

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क्या दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएफआई की याचिका को सुनवाई योग्य माना?

सारांश

दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएफआई द्वारा दायर याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह मामला गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत पीएफआई के प्रतिबंध को चुनौती देता है। यह सुनवाई २० जनवरी २०२६ को होगी। जानिए इस मामले के सभी पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएफआई की याचिका को सुनवाई योग्य माना।
  • केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है।
  • सुनवाई की तारीख २० जनवरी २०२६ है।
  • पीएफआई पर लगे प्रतिबंध का मुद्दा महत्वपूर्ण सुरक्षा पहलू से जुड़ा है।
  • यह मामला गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत है।

नई दिल्ली, १३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर लगे पांच साल के प्रतिबंध का विवाद अभी भी जारी है। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को पीएफआई द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ दायर अपील को सुनवाई योग्य माना और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

पीएफआई ने यूएपीए ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें संगठन पर पांच साल के प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। अब दिल्ली हाईकोर्ट २० जनवरी २०२६ को इस मामले में सुनवाई करेगा और तय करेगा कि क्या पीएफआई पर लगाया गया प्रतिबंध वैध है या नहीं।

मार्च २०२३ में दिल्ली हाईकोर्ट के अधीन यूएपीए ट्रिब्यूनल ने पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को सही ठहराया था। इसके बाद पीएफआई ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। हालांकि, इससे पहले पीएफआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें उच्च न्यायालय में मामले को उठाने के निर्देश दिए गए थे।

सितंबर २०२२ में केंद्र सरकार ने पीएफआई और इसके जुड़े संगठनों को यूएपीए के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। गृह मंत्रालय ने राजपत्र में यह अधिसूचना जारी की थी, जिसमें पीएफआई पर आतंकवाद से जुड़े गंभीर आरोप लगाए गए थे। आरोप है कि संगठन आतंकी गतिविधियों में शामिल था और देशव्यापी सुरक्षा खतरे के रूप में देखा गया था।

इस प्रतिबंध के तहत पीएफआई के अलावा उसके सहयोगी संगठन जैसे रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईआईसी) आदि को भी गैरकानूनी घोषित किया गया।

चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि अदालत के पास यूएपीए अधिनियम की धारा ४ के तहत ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई का अधिकार है। उन्होंने कहा कि मामले को सुनवाई योग्य माना जाता है और केंद्र सरकार को छह हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। जवाबी हलफनामे के लिए दो हफ्ते का अतिरिक्त समय भी दिया गया है।

अब इस मामले में २० जनवरी को विस्तृत सुनवाई होगी, जिसमें अदालत इस बात पर फैसला करेगी कि क्या पीएफआई पर लगाया गया प्रतिबंध उचित और वैध है या नहीं।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मामले को निष्पक्षता से देखें। पीएफआई पर लगे प्रतिबंध का मुद्दा एक गंभीर सुरक्षा पहलू से जुड़ा है, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र और कानून के दायरे में सभी को न्याय मिले।
NationPress
13/10/2025

Frequently Asked Questions

पीएफआई पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
केंद्र सरकार ने पीएफआई को आतंकवाद से जुड़े गंभीर आरोपों के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया।
दिल्ली हाईकोर्ट कब सुनवाई करेगा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई २० जनवरी २०२६ को तय की है।
यूएपीए क्या है?
यूएपीए का मतलब गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम है, जो विभिन्न आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया है।