क्या शंकराचार्य के अधूरे काम पूरे करने के लिए उनकी आत्मा ने पटेल को चुना?

Click to start listening
क्या शंकराचार्य के अधूरे काम पूरे करने के लिए उनकी आत्मा ने पटेल को चुना?

सारांश

दिल्ली में हुए एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शंकराचार्य की भूमिका और भारतीय संस्कृति के महत्व पर जोर दिया। इस चर्चा में यह भी बताया गया कि कैसे भारतीय संस्कृति ने मानवता को दिव्य और मानवीय रूप में जोड़ा।

Key Takeaways

  • भारतीय संस्कृति ने मानवता को दिव्य और मानवीय रूप में जोड़ा।
  • शंकराचार्य ने सांस्कृतिक एकता की नींव रखी।
  • समाज में धर्म की सही परिभाषा को समझना आवश्यक है।
  • राजनीतिक टकरावों के बावजूद हमें सांस्कृतिक एकता बनाए रखनी चाहिए।
  • हमारी असली पहचान को पहचानना ही हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन एवं चर्चा कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष राम माधव उपस्थित थे। इस अवसर पर 'भारत : दैट इज इंडिया - रिक्लेमिंग अवर रियल आइडेंटिटी' नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

यह पुस्तक सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है। कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, कला निधि प्रभाग द्वारा किया गया था। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. राम माधव शामिल हुए।

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने संबोधन में कहा, “हमारे देश में पश्चिमी देशों द्वारा परिभाषित परिधियों में खुद को समेटने की आवश्यकता नहीं है। हम एक राष्ट्रीय राज्य ही नहीं हैं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राष्ट्र हैं।”

उन्होंने बताया कि 1,100-1,200 वर्ष पहले इस पुस्तक का ज्ञान पहले से ही विद्यमान था। वास्तव में, यूनेस्को ने भी ऋग्वेद को दुनिया की सबसे पुरानी पुस्तक के रूप में मान्यता दी है। यदि यह ज्ञान लोगों के मन में न होता, तो शंकराचार्य अपने कार्य को इतनी सहजता से पूरा नहीं कर पाते।

उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्र का अनूठा योगदान यह है कि भारतीय संस्कृति ने मानवता का दिव्यकरण और दिव्यता का मानवीकरण किया। क्या कोई सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता से कोई राष्ट्र बन सकता है? आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत ने कभी पीछे नहीं किया, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में हमारा रिकॉर्ड खराब रहा है।

राज्यपाल ने आगे कहा कि जब भारत राजनीतिक रूप से बंटा हुआ था, तब शंकराचार्य ने पूरे देश को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से एकजुट किया। मुझे लगता है कि उनकी आत्मा ने चैन से नहीं बैठने दिया और उनके अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए उनकी आत्मा ने सरदार पटेल के रूप में जन्म लिया।

उन्होंने यह भी कहा कि आजकल हम ‘धर्म’ को ‘रिलिजन’ के समान मानते हैं, जो गलत है। अमृतकोश में धर्म की 18 परिभाषाएं हैं, जिनमें से 'रिलिजन' की परिभाषा सबसे कम महत्वपूर्ण है। धर्म, अपने मूल में, अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में है।

इसके बाद, उन्होंने कहा कि ‘स्वकर्म धर्म विमुखाः कृष्ण कृष्णेति वादिनम्, ते हरे कृष्ण मुर्खे’। जो लोग अपने कर्तव्यों से विमुख हैं, वे हरि के शत्रु हैं।

इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष राम माधव ने कहा कि 34 वर्ष पहले बाबरी ढांचा गिरने की घटना ने एक बड़ा हंगामा पैदा किया था। उस दिन को उस घटना के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। इसके बाद की घटनाएं हमें इस मुकाम पर ले आई हैं, जहां हमें लगता है कि भारत अपनी वास्तविक क्षमता की ओर बढ़ रहा है।

किताब के लेखक अभिजीत जोगी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि भारत की असली पहचान क्या है? किसी भी देश की सबसे महत्वपूर्ण चीज उसकी पहचान होती है। दुर्भाग्यवश, भारत की असली पहचान को गलत तरीके से पेश किया गया है। मैंने यह किताब लिखने का निर्णय लिया ताकि लोगों को सही जानकारी मिल सके।

Point of View

और यह कि शंकराचार्य का योगदान आज भी प्रासंगिक है। यह एक ऐसा विषय है, जो न केवल भारत के लिए, बल्कि विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

इस पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?
यह पुस्तक भारत की असली पहचान और संस्कृति के महत्व पर केंद्रित है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने क्या कहा?
उन्होंने बताया कि हमें पश्चिमी दायरों में खुद को नहीं बांधना चाहिए, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान को समझना चाहिए।
शंकराचार्य का योगदान क्या था?
उन्होंने भारत को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से एकजुट किया।
Nation Press