क्या भाजपा शासित दिल्ली सरकार में 'ऑल इज नॉट वेल' है? : सौरभ भारद्वाज

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली सरकार में राजस्व विभाग का नया आदेश विवादास्पद है।
- मंत्रियों को डीएम या एसडीएम को बुलाने के लिए मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी।
- यह आदेश विधायकों का अपमान करता है।
- मुख्यमंत्री इस पर मौखिक रूप से भी निर्देश दे सकती थीं।
- क्या यह आदेश लोकतंत्र की बुनियाद को प्रभावित करेगा?
नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने एक अनोखा आदेश जारी किया है। यह विभाग मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के अधीन है, जो कि खुद भी दिल्ली की राजस्व विभाग की मंत्री हैं, और उनकी सहमति से यह आदेश जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस आदेश में निर्दिष्ट किया गया है कि यदि दिल्ली सरकार का कोई मंत्री डीएम या एसडीएम को बैठक के लिए बुलाना चाहता है, तो उसे पहले मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी। इसका मतलब है कि अब बिना मुख्य सचिव की अनुमति के कोई मंत्री अपने विभाग से संबंधित किसी भी मामले की बैठक के लिए डीएम या एसडीएम को नहीं बुला सकता। यह आदेश अपने आप में एक अनोखा और विवादास्पद कदम है, जिसमें जनता द्वारा चुने गए विधायकों का अपमान किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि यह कहना कि विधायक भी राजस्व विभाग के अधिकारियों को बैठकों के लिए बुला लेते हैं, यह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का अपमान है। विधायक कोई साधारण व्यक्ति नहीं होता, बल्कि वह एक विधानसभा में रहने वाले लोगों का प्रतिनिधि होता है। यदि विधायक अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर डीएम, एडीएम और एसडीएम को निरीक्षण के लिए नहीं बुलाएंगे, तो फिर उन्हें किसे बुलाना चाहिए?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार में केवल 6 मंत्री और एक मुख्यमंत्री हैं। यदि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को लगता है कि उनके मंत्री राजस्व विभाग के अधिकारियों को बेवजह परेशान कर रहे हैं, तो वह मंत्रियों को मौखिक रूप से भी इस बारे में बता सकती थीं। इस तरह का आदेश पारित करने से कई सवाल उठते हैं। जब कोई समस्या उत्पन्न होती है, तभी मंत्री और विधायक राजस्व विभाग के अधिकारियों को बुलाते हैं। अन्यथा, कोई मंत्री या विधायक बेवजह राजस्व विभाग के अधिकारियों, डीएम, एडीएम और एसडीएम को क्यों बुलाएगा?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस आदेश को पढ़ने पर ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रोटोकॉल के अनुसार, विधायक का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव के बराबर होता है और एक मंत्री का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से ऊँचा होता है। यह हास्यास्पद है कि एक मंत्री, जिसका प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से ऊँचा है, उसे यह जानने के लिए मुख्य सचिव से अनुमति लेनी पड़ेगी कि क्या वह अपनी बैठक में राजस्व विभाग के अधिकारियों को बुला सकता है?