क्या शनिवार व्रत और पूजन से शनि दोष से मुक्ति पाई जा सकती है?
सारांश
Key Takeaways
- शनिवार का व्रत शनि दोष से मुक्ति का प्रभावी उपाय है।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और पूजा की तैयारी करें।
- शनि मंत्रों का जाप करें जैसे "शं शनैश्चराय नम:"।
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना आवश्यक है।
- पूजा में काले तिल और सरसों का तेल अर्पित करें।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस बार शनिवार को आ रही है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा धनु राशि में उपस्थित रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 11 बजकर 1 मिनट तक रहेगा।
इस तिथि पर कोई विशेष त्योहार नहीं है। यदि किसी जातक के जीवन में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है, तो वे शनिवार का व्रत रख सकते हैं।
जब किसी व्यक्ति के जीवन में साढ़ेसाती या ढैय्या चलती है, तो उन्हें आर्थिक संकट, नौकरी में समस्याएँ, मान-सम्मान में कमी और परिवार में कलह जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अग्नि पुराण में उल्लेख है कि शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है।
इस प्रकार, शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए महत्वपूर्ण है।
धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनि की प्रतिमा या शनि यंत्र स्थापित करें और शनि मंत्रों का जाप करें जैसे "शं शनैश्चराय नम:" और "सूर्य पुत्राय नम:"। फिर शनिदेव को स्नान कराएं और उन्हें काले वस्त्र, काले तिल, और सरसों का तेल अर्पित करें, साथ ही सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद शनिदेव की चालीसा और कथा का पाठ करें।
पूजा के दौरान शनिदेव को पूरी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं और आरती करें। मान्यता है कि पीपल का पेड़ शनिदेव का वास स्थान है। इसलिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।