क्या धर्मांतरण के नाम पर राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र नहीं चलेगा? सख्त कानून बनाए केंद्र सरकार: विधायक राजेश्वर सिंह

सारांश
Key Takeaways
- अवैध धर्मांतरण पर सख्त कानून की आवश्यकता है।
- यह मुद्दा भारत की अस्मिता और बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा है।
- राजनीतिक दलों को इस पर चुप नहीं रहना चाहिए।
- धर्मांतरण को रोकने के लिए संस्थागत कदम उठाए जाने चाहिए।
- समाज में स्थिरता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है।
लखनऊ, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में लगातार उजागर हो रहे अवैध धर्मांतरण मॉड्यूल और लव जिहाद के मामलों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने रविवार को केंद्र सरकार से केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी अधिनियम लागू करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि यह अब केवल धार्मिक स्वतंत्रता का मामला नहीं है, बल्कि भारत की अस्मिता, बेटियों की सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता का भी प्रश्न है। राजेश्वर सिंह ने हाल ही में आगरा में आईएसआईएस से जुड़े कन्वर्ज़न मॉड्यूल और छांगुर बाबा धर्मांतरण गिरोह का उल्लेख करते हुए कहा कि ये घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि अवैध धर्मांतरण अब एक सुनियोजित राष्ट्रविरोधी नेटवर्क में बदल गया है, जो विदेशी फंडिंग और कट्टरपंथी संगठनों के सहयोग से काम कर रहा है।
उन्होंने केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को पत्र लिखकर एक कठोर और व्यापक केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी अधिनियम बनाने की मांग की, जिसमें जबरन, धोखाधड़ी और विवाह के माध्यम से धर्मांतरण को गंभीर अपराध माना जाए। उन्होंने कहा कि यह महज धर्म परिवर्तन नहीं, बल्कि संस्कृति, चेतना और पारिवारिक संरचना पर सीधा हमला है। 'लव जिहाद' और झूठी पहचान से युवतियों को फंसाकर आतंकवाद की ओर धकेला जा रहा है और विदेशी फंडिंग प्राप्त एनजीओ धर्मांतरण को संस्थागत स्वरूप दे रहे हैं।
राजेश्वर सिंह ने तीखे सवाल उठाते हुए कहा कि जब बेटियां बेची जाती हैं और धर्मांतरण के नाम पर आतंक का खेल चलता है, तब तथाकथित सेक्युलर दल चुप क्यों रहते हैं? क्या यह राष्ट्रहित है या केवल वोटबैंक की राजनीति? उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समय राजनीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रनीति का है।