क्या धारवाड़ में 20 साल पहले बनाए गए सार्वजनिक शौचालय अब भी जर्जर हैं?

सारांश
Key Takeaways
- धारवाड़ में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति अत्यंत खराब है।
- स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य अधूरा है।
- अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करना आवश्यक है।
- शौचालयों का रखरखाव कभी नहीं हुआ है।
- स्थानीय लोगों की शिकायतें अनसुनी हैं।
धारवाड़, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 'हर घर शौचालय' योजना ने देशभर में स्वच्छता को बढ़ावा देने का वादा किया था, लेकिन कर्नाटक के धारवाड़ में इसकी हकीकत निराशाजनक है। हुबली-धारवाड़ नगर निगम (एचडीएमसी) द्वारा लगभग 20 साल पहले बनाए गए सार्वजनिक शौचालय आज भी अप्रयुक्त और जर्जर पड़े हैं।
करदाताओं के पैसे से बने ये शौचालय एक दिन भी इस्तेमाल नहीं हुए, जिससे स्थानीय लोग और स्वच्छता के प्रति जागरूकता सवालों के घेरे में है।
एचडीएमसी के 82 वार्डों में दो दशक पहले कई सार्वजनिक शौचालय बनाए गए थे। इन शौचालयों को पे-एंड-यूज मॉडल के तहत संचालित करने की योजना थी, लेकिन यह योजना कभी साकार नहीं हुई। नतीजा, ये शौचालय आज ढहने की कगार पर हैं। स्थानीय निवासी दीवान ने बताया, "इन शौचालयों का रखरखाव कभी नहीं हुआ। लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं, जबकि ये सुविधाएं बेकार पड़ी हैं।"
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि पुराने शौचालयों की मरम्मत के लिए निविदाएं जारी की जाएंगी, लेकिन यह प्रक्रिया बार-बार अधूरी रह जाती है। नगर आयुक्त रुद्रेश ने कहा, "हम मरम्मत के लिए कदम उठा रहे हैं, लेकिन निरीक्षण और तबादलों के कारण देरी होती है।"
इस बीच, निगम का ध्यान आधुनिक पोर्टेबल शौचालयों पर है, जिन्हें आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है। हालांकि, पुराने शौचालयों की उपेक्षा और बर्बादी जनता के टैक्स के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होगी, ऐसी योजनाएं कागजों तक ही सीमित रहेंगी। स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य हर घर और समुदाय को शौचालय सुविधा प्रदान करना था, लेकिन धारवाड़ जैसे क्षेत्रों में यह सपना अधूरा है।
कई स्थानीय लोगों का कहना है कि रखरखाव और नियमित निरीक्षण के अभाव में ऐसी परियोजनाएं विफल हो रही हैं। यह स्थिति न केवल स्वच्छता के प्रति उदासीनता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि जनता का पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है। अगर हर नया अधिकारी पुरानी समस्याओं को अनदेखा करता रहेगा, तो स्वच्छ भारत का सपना धारवाड़ में हकीकत से कोसों दूर रहेगा।