क्या एसआईआर पश्चिम बंगाल और देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक है? दिलीप घोष का बयान
                                सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया की पुनः आवश्यकता है।
 - पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों की पहचान आवश्यक है।
 - पुलिस की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
 
खड़गपुर, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा नेता दिलीप घोष ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था, पुलिस सुरक्षा और एसआईआर के संबंध में अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि एसआईआर की प्रक्रिया का इतिहास ब्रिटिश काल से है।
दिलीप घोष ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि एसआईआर कोई नई व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि कई देशों में इस तरह की प्रणाली लागू है और भारत में इसे 21 वर्ष
उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में अवैध घुसपैठिए हैं और उनकी पहचान कर उन्हें अलग करना राज्य और देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
घोष ने कहा, "एसआईआर की प्रक्रिया ब्रिटिश काल से चली आ रही है। हर देश में इस प्रकार की प्रक्रिया होती है। हमारे देश में इसे 21 वर्ष बाद लागू किया गया है, इसे पहले ही हो जाना चाहिए था। बंगाल में इतने घुसपैठिए हैं, उन्हें अलग करने के लिए यह सबसे प्रभावी उपाय है।"
दिलीप घोष ने राज्य में पुलिस पर हो रहे लगातार हमलों को गंभीर मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि जब पुलिस स्वयं सुरक्षित नहीं है तो आम नागरिकों की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
घोष के अनुसार राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है और पुलिसकर्मियों पर हमले इस बात का संकेत हैं कि हालात नियंत्रण से बाहर जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "पुलिस पर हमले हो रहे हैं, पुलिस खुद सुरक्षित नहीं है। जब पुलिस ही सुरक्षित नहीं है, तो अन्य लोगों की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है? यही स्थिति है।"
यह बयान तब आया है, जब पश्चिम बंगाल में लगातार राजनीतिक तनाव और सुरक्षा को लेकर बहस तेज हो गई है। लंबे समय से पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठियों का मुद्दा सामने आता रहा है।