क्या इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स से बिजली की लागत नियंत्रित करने में मदद मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स से बिजली की लागत को नियंत्रित किया जा सकता है।
- यह सट्टेबाजी के लिए नहीं, बल्कि हेजिंग के लिए है।
- बिजनेस और उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।
- एनएसई ने सेबी से स्वीकृति प्राप्त की है।
- यह ऊर्जा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के मुख्य व्यवसाय विकास अधिकारी श्रीराम कृष्णन ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की सहायता से बिजली की लागत को नियंत्रित करना संभव होगा।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से वार्ता के दौरान श्रीराम कृष्णन ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग करके आप भविष्य की बिजली की कीमतों को आज ही तय कर सकते हैं, जिससे आपकी लागत स्थिर रहेगी। यदि स्पॉट पर लागत इससे अधिक होती है, तो कैश-सेटेल्ड मंथली इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट से आपको अंतर की राशि मिल जाएगी।
इससे व्यवसायों और अन्य क्षेत्रों को बिजली की लागत को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।
राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कृष्णन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर ईएसजी (एनवायरमेंटल, सोशल और गवर्नेंस) के बढ़ने से बिजली की लागत पर प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि सौर ऊर्जा का उत्पादन हर स्थान पर बढ़ता है, तो बिजली की लागत में कमी आ सकती है, लेकिन अगर मांग हमारी योजनाओं से अधिक हो गई, तो कीमतें बढ़ सकती हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
बिजली के व्यापार के संदर्भ में कृष्णन ने कहा कि यह सट्टेबाजी के लिए नहीं है, बल्कि वास्तविक हेजिंग के लिए है। देश में 60,000 यूनिट्स से अधिक की खपत करने वाले सभी लोग इसका लाभ उठा सकते हैं। यदि बिजली की लागत आपके व्यवसाय के प्रॉफिट और लॉस में महत्वपूर्ण है, तो यह आपको लाभ पहुंचा सकता है।
इस महीने के मध्य में एनएसई ने घोषणा की थी कि उसे सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से मंथली इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स शुरू करने की स्वीकृति प्राप्त हुई है।
एनएसई के मंथली इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उद्देश्य बिजली की कीमतों में उतार-चढ़ाव के खिलाफ बाजार के भागीदारों को हेजिंग का एक बेहतरीन उपकरण प्रदान करना है। साथ ही, इलेक्ट्रिसिटी वैल्यू-चेन जैसे उत्पादन, संचरण, वितरण और खुदरा में पूंजीगत निवेश को बढ़ावा देना है।