क्या टूटे वायलिन से संगीतकार बनने तक फरहाद मेहराद का सफर संघर्ष भरा था?

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क्या टूटे वायलिन से संगीतकार बनने तक फरहाद मेहराद का सफर संघर्ष भरा था?

सारांश

फरहाद मेहराद की कहानी एक मासूम बच्चे से फारसी रॉक संगीत के सितारे बनने की है। वायलिन के टूटने से शुरू होकर, उन्होंने अपने संगीत को एक मिशन के रूप में जिया। जानिए उनके संघर्ष और सफलता की अनकही दास्तान।

Key Takeaways

  • फरहाद मेहराद का सफर संगीत की दुनिया में संघर्ष और सफलता की कहानी है।
  • उन्होंने अपने जीवन में कला को हमेशा प्राथमिकता दी।
  • उनकी आवाज़ और गाने ने फारसी संगीत को एक नया मुकाम दिया।
  • फरहाद ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण गाने गाए जो आज भी लोकप्रिय हैं।
  • उनका जीवन प्रेरणा देता है कि कैसे कठिनाइयों से उबरकर अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है।

मुंबई, 30 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। संगीत की दुनिया में कुछ सुर ऐसे होते हैं जो सीधे दिल में उतर जाते हैं। फरहाद मेहराद की आवाज भी कुछ ऐसी ही थी... मधुर, गहरी और सच्ची। उन्होंने कभी संगीत को एक करियर की तरह नहीं देखा, बल्कि एक मिशन की तरह जिया। उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। एक मासूम बच्चा, जो एक वाद्य यंत्र के टूटने से इतना दुखी हुआ कि उसने हमेशा के लिए उसे छोड़ दिया, आगे चलकर वही बच्चा फारसी रॉक संगीत की पहचान बन गया। यह किस्सा जितना मजेदार है, उतना ही भावुक भी है।

फरहाद मेहराद का जन्म 20 जनवरी 1944 को ईरान की राजधानी तेहरान में हुआ था। उनके पिता एक राजनयिक थे और अक्सर विदेश में रहते थे। फरहाद का बचपन एक औपचारिक और अनुशासित माहौल में बीता, लेकिन उनकी आत्मा हमेशा आजादी और कला की ओर खिंचती रही। जब वे केवल तीन साल के थे, तो अपने भाई के कमरे के बाहर बैठते थे। भाई की वायलिन की क्लास चलती थी और वे उसे सुनते थे। इस दिलचस्पी को देखकर उनके परिवार ने उनके लिए एक वायलिन खरीद लिया। लेकिन कुछ ही क्लास के बाद, उनका वायलिन टूट गया, जिससे वे काफी आहत हुए। उन्होंने कहा, "वायलिन के टुकड़े-टुकड़े हो गए और मेरी आत्मा के भी।" उन्होंने फिर कभी वायलिन को हाथ नहीं लगाया।

हालांकि उनका संगीत के प्रति झुकाव कभी कम नहीं हुआ। स्कूल के दिनों में वे साहित्य से भी गहराई से जुड़ने लगे थे। उन्होंने हाई स्कूल में साहित्य पढ़ने की इच्छा जताई, लेकिन पारिवारिक दबाव के कारण उन्हें विज्ञान पढ़ना पड़ा। धीरे-धीरे यह घुटन इतनी बढ़ गई कि उन्होंने 11वीं कक्षा में ही स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद उनका जीवन धीरे-धीरे संगीत की ओर मुड़ने लगा।

हाई स्कूल छोड़ने के बाद फरहाद की मुलाकात एक अर्मेनियाई बैंड 'द फोर एल्फ्स' से हुई। वह बैंड के मेंबर्स के साथ समय बिताने लगे और गिटार बजाना सीखा। एक बार जब बैंड का सिंगर नहीं आया, तो फरहाद को पहली बार गाने का मौका मिला और यहीं से उनकी असली पहचान मिलनी शुरू हुई। शुद्ध उच्चारण और भावनाप्रधान गायकी के सब मुरीद हो गए। वे अंग्रेजी, इतालवी और फ्रेंच में ऐसे गाते थे जैसे ये भाषाएं उनकी अपनी हों।

इसके बाद उन्होंने 'ब्लैक कैट्स' नामक लोकप्रिय बैंड जॉइन किया, जहां वे गायक और गिटार वादक दोनों थे। इस बैंड के साथ उनका करियर चमक उठा, लेकिन उनके संगीत की आत्मा कहीं और थी। वे केवल वही गाने गाते थे जिनका कोई अर्थ हो, जिनमें कोई मैसेज छिपा हो। उनका पहला फारसी गाना 'एज ये जो शांस داش्तिम' काफी लोकप्रिय हुआ।

1970 में फिल्म 'रेजा मोटोरी' के लिए गाया उनका गीत 'मर्दे तन्हा' काफी पसंद किया गया। इसके बाद 'जोमेह', 'हफ्ते खाकस्टारी' और 'अयेनेहा' जैसे गीतों ने उन्हें फारसी संगीत में एक अलग मुकाम पर ला खड़ा किया। वे उन चुनिंदा गायकों में थे जो लोकप्रियता से ज्यादा अपने संगीत की सच्चाई को अहमियत देते थे।

1979 में जब ईरान में इस्लामी क्रांति आई, तो फरहाद को लंबे समय तक गाने से रोक दिया गया। क्रांति के ठीक अगले दिन उनका गाना 'वहदत' टेलीविजन पर प्रसारित हुआ, लेकिन कुछ ही समय बाद सरकार ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया। उनके पुराने गीतों को उनकी अनुमति के बिना एक एल्बम में बदल दिया गया, लेकिन लोगों ने फिर भी उस एल्बम को काफी प्यार दिया।

करीब 15 साल की चुप्पी के बाद, 1993 में उन्हें अपना पहला आधिकारिक एल्बम 'खाब दर बिदारी' रिलीज करने की अनुमति मिली। यह एल्बम काफी लोकप्रिय हुआ और चार्ट में टॉप पर पहुंच गया। इसके बाद उन्होंने 1999 में अमेरिका में 'बर्फ' एल्बम रिलीज किया, जो एक साल बाद ईरान में भी आया। उनका आखिरी सपना एक ऐसा एल्बम बनाने का था जिसमें अलग-अलग भाषाओं के गाने हों, इसका नाम उन्होंने 'अमीन' रखा था, लेकिन यह एल्बम अधूरा रह गया।

31 अगस्त 2002 को पेरिस में, हेपेटाइटिस सी के कारण उनका निधन हो गया। उन्होंने 58 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार पेरिस के थियाइस कब्रिस्तान में हुआ, जहां आज भी संगीत प्रेमी उनकी कब्र पर फूल चढ़ाने जाते हैं।

Point of View

बल्कि यह संघर्ष, समर्पण और जुनून की एक प्रेरणादायक दास्तान भी है। राष्ट्रीय दृष्टिकोण से, हमें ऐसे कलाकारों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी।
NationPress
30/08/2025

Frequently Asked Questions

फरहाद मेहराद का जन्म कब हुआ?
फरहाद मेहराद का जन्म 20 जनवरी 1944 को तेहरान, ईरान में हुआ था।
फरहाद मेहराद ने किस बैंड के साथ करियर की शुरुआत की?
उन्होंने 'द फोर एल्फ्स' नामक अर्मेनियाई बैंड के साथ करियर की शुरुआत की।
उनका कौन सा गाना सबसे पहले प्रसिद्ध हुआ?
उनका पहला प्रसिद्ध गाना 'एज ये जो शांस داش्तिम' था।
फरहाद मेहराद का निधन कब हुआ?
फरहाद मेहराद का निधन 31 अगस्त 2002 को पेरिस में हुआ।
क्या फरहाद मेहराद का कोई आधिकारिक एल्बम है?
हाँ, उनका पहला आधिकारिक एल्बम 'खाब दर बिदारी' 1993 में रिलीज हुआ था।