क्या गैरी कास्परोव ने विश्वनाथन आनंद को हराकर अतीत की छाया को उजागर किया?

सारांश
Key Takeaways
- क्लच शतरंज: द लीजेंड्स प्रतियोगिता में कास्परोव ने आनंद को हराया।
- प्रतियोगिता में कैस्केडिंग प्वाइंट सिस्टम का उपयोग किया गया।
- कास्परोव का अनुभव और मानसिक मजबूती ने मुकाबले को प्रभावित किया।
- आनंद ने अंतिम दो गेम जीते, लेकिन पहले गेम में समय प्रबंधन में कमी आई।
- 1995 के मुकाबले के 30 साल बाद कास्परोव ने आनंद को हराया।
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सेंट लुइस में आयोजित प्रदर्शनी प्रतियोगिता 'क्लच शतरंज: द लीजेंड्स' में गैरी कास्परोव ने विश्वनाथन आनंद को हराया। तीन दिन तक चली इस प्रतियोगिता में कास्परोव और आनंद ने फ्रीस्टाइल फॉर्मेट में 12 रैपिड और ब्लिट्ज गेम्स में हिस्सा लिया, जिसमें कास्परोव ने 13-11 से जीत हासिल की।
इस प्रतियोगिता में 'कैस्केडिंग प्वाइंट सिस्टम' का उपयोग किया गया था। पहले दिन जीत पर एक अंक, दूसरे दिन जीत पर दो अंक और तीसरे दिन जीत पर तीन अंक दिए गए, जिससे कास्परोव ने दो गेम बचे रहते जीत सुनिश्चित कर ली। आनंद ने आखिरी दोनों गेम अपने नाम किए।
कास्परोव ने जीत के बाद सेंट लुइस शतरंज क्लब के यूट्यूब चैनल पर दिए गए इंटरव्यू में बताया कि आनंद को तीन दिनों तक कुछ 'मानसिक परेशानी' का सामना करना पड़ा।
कास्परोव ने कहा, "उन्हें कुछ मानसिक परेशानी थी। पहले दिन से ही उनके लिए सब कुछ ठीक नहीं रहा। मुझे लगता है कि मेरे खिलाफ उनका स्कोर ऐतिहासिक रूप से खराब रहा है। शायद खेल के दौरान अतीत उन पर हावी हो गया।"
क्लच चेस के दूसरे दिन भारत के पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद को कास्परोव के खिलाफ पांचवें गेम में स्पष्ट बढ़त थी, लेकिन आनंद अपने समय पर ध्यान नहीं दे पाए और अंततः समय खत्म होने के कारण मैच हार गए। यह मुकाबला रैपिड फॉर्मेट में खेला गया था।
इससे 2025 क्लच चेस लीजेंड्स का दूसरा दिन भारतीय दिग्गज के लिए सबसे निराशाजनक शुरुआत साबित हुआ। इसके बाद कास्परोव ने दबदबा बनाए रखा और 17वीं चाल पर आनंद की गलती का फायदा उठाते हुए एक और जीत दर्ज की।
कास्परोव ने साक्षात्कार के दौरान ग्रैंडमास्टर मौरिस एशले को बताया, "यह एक बहुत ही कठिन मुकाबला था। मुझे लगता है कि मैं कई गेम्स में बेहद भाग्यशाली रहा। कुछ ही ऐसे मौके आए, जब पासा पलट सकता था। मैंने वास्तव में कुछ अच्छे गेम खेले। शायद ये वो गेम हैं, जिन्हें मैं नहीं जीत पाया। मैं पहले गेम (दूसरे दिन का) हारना पसंद करता या ड्रॉ पर मजबूर होना चाहता, जो मैं आसानी से कर सकता था। मैं दूसरे दिन दूसरा गेम जीतना पसंद करूंगा। इसलिए यह शायद एक उचित संतुलन है। बेशक, मैं प्रतियोगिता जीतने के बाद पूरी तरह से निश्चिंत था।"
कास्परोव ने न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में 1995 की विश्व शतरंज चैंपियनशिप में आनंद के खिलाफ जीत के ठीक 30 साल बाद पांच बार के विश्व चैंपियन को हराया है।