क्या राहुल गांधी को आरएसएस को समझने के लिए कई जन्मों की आवश्यकता है? : गिरिराज सिंह

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी।
- गिरिराज सिंह का बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- आरएसएस सामाजिक कल्याण में सक्रिय है।
- आपदाओं के समय आरएसएस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई गई।
पटना, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि आरएसएस को समझने के लिए लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को कई बार जन्म लेना पड़ेगा।
गिरिराज सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस के नेताओं पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की वर्तमान स्थिति बेहद खराब है। 'जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तीन तैसी।' उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस को समझने के लिए राहुल गांधी को कई बार जन्म लेना होगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जो जब-जब भारत में आपदा आती है, तब-तब आगे आता है। 1971 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ, तो आरएसएस ने सिविल पुलिस का कार्य किया था। बाढ़ आने पर भी आरएसएस के लोग ही सबसे पहले मदद के लिए आगे आते हैं। कांग्रेस का इसमें कोई नामोनिशान नहीं है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी समारोह बुधवार को मनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने भी भाग लिया। यह कार्यक्रम दिल्ली के डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आयोजित किया गया था।
आरएसएस की स्थापना 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। संगठन की शुरुआत एक स्वयंसेवी संस्था के रूप में हुई थी, जिसका उद्देश्य लोगों में सांस्कृतिक चेतना, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी विकसित करना था। पिछले 100 वर्षों में आरएसएस देश के सबसे प्रभावशाली सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों में से एक बन गया है।
आरएसएस को भारत के राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए जनता से जुड़ा एक अनोखा आंदोलन माना जाता है। इसका उदय विदेशी शासन के लंबे दौर के बाद हुआ और इसकी बढ़ती लोकप्रियता का कारण भारत की राष्ट्रीय गौरव भावना से गहरा जुड़ाव है।
पिछली शताब्दी में, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बाढ़, भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं में स्वयंसेवकों ने राहत कार्यों में अग्रिम पंक्ति में रहकर सेवा दी है।