क्या तेलंगाना में फिर बढ़ रही हैं किसान आत्महत्याएं? केटीआर ने कांग्रेस सरकार पर लगाया आरोप

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क्या तेलंगाना में फिर बढ़ रही हैं किसान आत्महत्याएं? केटीआर ने कांग्रेस सरकार पर लगाया आरोप

सारांश

तेलंगाना में किसान आत्महत्याओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हो रही है। केटीआर ने कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें पिछले दो वर्षों में 700 से अधिक किसानों की आत्महत्या शामिल है। जानिए इस मुद्दे का पूरा हाल और क्यों केसीआर के नेतृत्व को वापस लाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

Key Takeaways

  • तेलंगाना में किसान आत्महत्याओं की संख्या बढ़ रही है।
  • 700 से अधिक किसानों ने पिछले दो वर्षों में आत्महत्या की।
  • केसीआर के शासन में आत्महत्याओं की संख्या में कमी आई थी।
  • कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह इस समस्या को नजरअंदाज कर रही है।
  • किसानों की भलाई के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

हैदराबाद, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव (केटीआर) ने बुधवार को बताया कि कांग्रेस सरकार के शासन में तेलंगाना में किसान आत्महत्याओं की संख्या एक बार फिर बढ़ रही है, और पिछले दो वर्षों में 700 से अधिक किसानों ने अपनी जान दी है।

पूर्व मंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के कार्यकाल के दौरान राज्य में किसान आत्महत्याओं में रिकॉर्ड 96 प्रतिशत की कमी आई थी, जो पूरे देश में सबसे बड़ी कमी थी, जैसा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में देखा गया।

केटीआर ने मीडिया को बताया कि रिथु बंदु और रिथु बीमा जैसी योजनाओं ने तेलंगाना के किसानों के लिए एक स्वर्ण युग की शुरुआत की, जिससे उन्हें अभूतपूर्व वित्तीय स्थिरता और आत्मविश्वास प्राप्त हुआ।

बीआरएस के नेता ने कहा कि केसीआर के नेतृत्व में तेलंगाना ने असाधारण प्रगति की थी, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई है। उन्होंने कहा, “केसीआर के कार्यकाल के अंत तक किसान आत्महत्याओं की संख्या केवल 56 मामले थी, लेकिन कांग्रेस के दो वर्षों में ही 700 से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। यह कांग्रेस की अक्षमता और अमानवीय शासन का स्पष्ट प्रमाण है।”

एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए केटीआर ने बताया कि केसीआर के दस साल के शासन में तेलंगाना ने देश में किसान आत्महत्याओं में सबसे बड़ी कमी हासिल की थी। 2014 में तेलंगाना में 1,347 किसान आत्महत्याएं हुई थीं, जबकि 2023 में यह संख्या केवल 56 रह गई, जो 95.84 प्रतिशत की कमी दर्शाती है। 2014 में तेलंगाना देश में किसान आत्महत्याओं का 10.9 प्रतिशत हिस्सा था, जो 2023 तक घटकर मात्र 0.51 प्रतिशत रह गया।

उन्होंने देश के अन्य राज्यों से तेलंगाना के उदाहरण से सीख लेने का आह्वान किया। केटीआर ने कहा, “महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्य में, जहां बीजेपी की सरकार है, वहां किसान आत्महत्याएं चिंताजनक स्तर पर जारी हैं। असली सवाल यह है कि अगर तेलंगाना यह बदलाव कर सकता है, तो महाराष्ट्र और अन्य राज्य क्यों नहीं कर सकते? हर सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई किसान समर्थन की कमी के कारण न मरे।”

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि यदि किसान सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन जीना चाहते हैं, और कल्याणोन्मुख शासन जारी रहना चाहिए, तो तेलंगाना में केसीआर को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में लाना आवश्यक है।

Point of View

जो न केवल तेलंगाना बल्कि पूरे देश की कृषि नीति को चुनौती दे रहा है। केटीआर का आरोप और आंकड़े यह दर्शाते हैं कि राजनीतिक परिवर्तन के साथ कृषि संकट भी गहरा गया है। यह समय है कि सभी राज्य इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और किसानों की भलाई के लिए ठोस कदम उठाएं।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

किसान आत्महत्या का मुख्य कारण क्या है?
किसान आत्महत्या का मुख्य कारण आर्थिक संकट, फसल की विफलता और समर्थन की कमी है।
तेलंगाना में किसान आत्महत्याएं कब से बढ़ रही हैं?
किसान आत्महत्याएं हाल ही में कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान बढ़ी हैं।
केसीआर के शासन में आत्महत्याओं की संख्या कैसे कम हुई?
केसीआर के शासन में वित्तीय योजनाओं और कृषि समर्थन से आत्महत्याओं की संख्या में कमी आई।
किसान आत्महत्या रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
सरकार को वित्तीय सहायता, फसल बीमा और उचित मूल्य सुनिश्चित करना चाहिए।
क्या अन्य राज्यों में भी किसान आत्महत्याएं हो रही हैं?
हाँ, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी किसान आत्महत्याएं चिंताजनक स्तर पर जारी हैं।