क्या शिक्षा सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है? : राष्ट्रपति मूर्मू

सारांश
Key Takeaways
- महिला छात्रावास का शिलान्यास नारी सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- शिक्षा को सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम बताया गया।
- पंचकर्म की प्रक्रिया स्वास्थ्य सुधारने में सहायक है।
- महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में निजी संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
गोरखपुर, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के नए अकादमिक भवन, प्रेक्षागृह और पंचकर्म सेंटर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने महिला छात्रावास का शिलान्यास भी किया और वन महोत्सव के तहत रुद्राक्ष का पौधा रोपा, साथ ही प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
राष्ट्रपति ने बताया कि नए महिला छात्रावास का शिलान्यास कर उन्हें अत्यधिक खुशी हो रही है। शिक्षा ही सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है, इसलिए यह कदम नारी सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। महाराणा प्रताप के आदर्शों से प्रेरित सभी संस्थानों में राष्ट्र सर्वोपरि की भावना व्याप्त है। लगभग 700 वर्ष पहले महाराणा प्रताप ने जो त्याग और पराक्रम का आदर्श प्रस्तुत किया था, वह हमारे देशवासियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थी प्रोफेशनल एजुकेशन पर आधारित उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ आध्यात्मिकता और राष्ट्रप्रेम के आदर्शों को अपने आचरण में समाहित करेंगे। यह संस्थान महंत दिग्विजयनाथ एवं महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की परंपरा से जुड़ा हुआ है। उनकी परंपरा के अनुसार गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से जुड़े सभी व्यक्तियों, विशेषकर युवाओं, को जनसेवा, शिक्षा और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति अगाध श्रद्धा के साथ कार्य करना चाहिए। गोरखनाथ मंदिर से निकली गौरवशाली शाखाओं में से महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय भी महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय के नए भवन में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होने से विद्यार्थी और शिक्षक और अधिक निष्ठा के साथ आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा कि मानव शरीर को दोषमुक्त बनाने में पंचकर्म की प्रक्रिया अत्यंत प्रभावी साबित हुई है। इस प्रक्रिया की सहायता से असाध्य रोगों के सफल उपचार के उदाहरण देखने को मिलते हैं। नए पंचकर्म केंद्र से अधिकतम लोग लाभान्वित होंगे।
राष्ट्रपति ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कक्षा सात की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सत्र 1970-71 में आठवीं और आगे की पढ़ाई के लिए अपने गांव से 300 किमी दूर भुवनेश्वर गईं। 55 वर्ष पहले यह दूरी भी बहुत अधिक थी, क्योंकि तब आवागमन के साधन सीमित थे। भुवनेश्वर में उन्हें महिला छात्रावास में रहने की सुविधा मिली। अब बहुत बदलाव आ चुका है। हमारी बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के नए मानक स्थापित कर रही हैं, लेकिन आज भी कई बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बेटियों के लिए सुरक्षित आवास न होने के कारण उनकी उच्च शिक्षा की यात्रा में बाधाएं आती हैं। कभी-कभी शिक्षा रुक भी सकती है, इसलिए विश्वविद्यालय में नए बालिका छात्रावास की स्थापना नारी शिक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
राष्ट्रपति ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत परोपकार और जनहितैषी लक्ष्यों के लिए कार्य करने में निजी उच्च शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र में उच्च शिक्षा में योगदान देने वाला यह पहला निजी विश्वविद्यालय है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था। केवल चार वर्षों में विश्वविद्यालय ने विकास के क्षेत्र में प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं। यह संस्थान पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा और रोजगारपरक शिक्षा का मुख्य केंद्र बन चुका है। इस विकास यात्रा में मुख्यमंत्री, विश्वविद्यालय के संस्थापक, कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ का अमूल्य दिशानिर्देश और संबल उपलब्ध रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेद कॉलेज और चिकित्सालयों के जरिए एलोपैथी और आयुर्वेद की शिक्षा और चिकित्सा की व्यवस्था की गई है। इसने चिकित्सा पद्धति की समग्रता को रेखांकित किया है। 650 बेड की सुविधाओं से युक्त श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर निकट भविष्य में 1,800 बेड का नया चिकित्सालय स्थापित करेगा। यहां के आयुर्वेद चिकित्सालय में 200 बेड की सुविधा उपलब्ध है।