क्या मोहरों के माहिर खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर दिब्येंदु बरुआ ने शतरंज की बिसात पर जलवा बिखेरा?
सारांश
Key Takeaways
- दिब्येंदु बरुआ ने 1991 में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता।
- उन्होंने बॉबी फिशर से प्रेरणा ली।
- दिब्येंदु ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेकर रिकॉर्ड बनाया।
- उन्होंने 2005 में अपनी अकादमी की स्थापना की।
- उनकी शैली आक्रामक और रचनात्मक थी।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रख्यात शतरंज खिलाड़ी दिब्येंदु बरुआ ने 1991 में ग्रैंडमास्टर का खिताब प्राप्त किया। वे विश्वनाथन आनंद के बाद भारत के दूसरे ग्रैंडमास्टर बने। बॉबी फिशर से प्रेरणा लेकर, बरुआ ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में देश का नाम रोशन किया और भारतीय शतरंज को नई पहचान दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
27 अक्टूबर 1966 को कोलकाता में जन्मे बरुआ का बचपन से ही शतरंज के प्रति गहरा प्रेम था। मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेकर सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनने का रिकॉर्ड बनाया। 1982 में, दिब्येंदु ने पूर्व विश्व चैंपियन मिखाइल ताल को हराकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई, तब उनकी उम्र केवल 16 वर्ष थी।
1983 में 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित होने के बाद, दिब्येंदु बरुआ 1991 में प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर का खिताब प्राप्त करने वाले दूसरे भारतीय बने, इससे पहले यह उपलब्धि विश्वनाथन आनंद ने प्राप्त की थी। उस समय भारत में शतरंज का आधारभूत ढांचा और समर्थन बहुत सीमित था। बरुआ की जीत ने युवाओं को इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
दिब्येंदु बरुआ की खेल शैली अत्यंत आक्रामक और रचनात्मक थी। वे दबाव में भी संयमित बने रहते थे। उन्होंने कई शतरंज ओलंपियाड और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और वैश्विक शतरंज समुदाय में देश का नाम रोशन किया।
भारत में शतरंज को बढ़ावा देने में दिब्येंदु बरुआ ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने 2005 में कोलकाता में दिब्येंदु बरुआ शतरंज अकादमी की स्थापना की, जिससे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने विभिन्न स्तरों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
एक चुनौतीपूर्ण दौर में वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करते हुए, दिब्येंदु बरुआ ने युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर नई पीढ़ी के ग्रैंडमास्टर तैयार करने में अहम योगदान दिया है। शतरंज में उनके इस उत्कृष्ट योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।