क्या जीएसटी सुधार से सितंबर-अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट को फायदा होगा?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी सुधार से उपभोग मांग में वृद्धि की संभावना है।
- सितंबर-अक्टूबर 2025 में मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट को लाभ हो सकता है।
- अगस्त में औद्योगिक विकास दर 4 प्रतिशत रही।
- इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में 10.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- आयकर में कटौती से खपत को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को बताया कि जीएसटी सुधार के परिणामस्वरूप फेस्टिव सीजन में उपभोग मांग में वृद्धि की संभावना है। उनका मानना है कि जब पुराने स्टॉक समाप्त हो जाएंगे, तब सितंबर-अक्टूबर 2025 में मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट को लाभ मिल सकता है।
अगस्त 2025 में भारत की औद्योगिक विकास दर 4 प्रतिशत रही है। चार महीने के बाद माइनिंग आउटपुट में सालाना आधार पर वृद्धि देखी गई और अगस्त में बिजली उत्पादन की विकास दर 5 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई।
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया, "उपयोग के आधार पर, अगस्त 2025 में प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि दर 7 महीने के उच्चतम स्तर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो खनन और बिजली उत्पादन के रुझानों का संकेत देती है।" जबकि जुलाई 2025 की तुलना में अन्य 5 सब-सेगमेंट में वृद्धि में कमी आई।
हाईवे, रेलवे और बंदरगाह क्षेत्रों में बड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स के कार्यान्वयन से इस वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अगस्त में 10.6 प्रतिशत की डबल डिजिट वृद्धि हुई है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 23 में से 10 उद्योग समूहों ने इस वर्ष अगस्त में पिछले वर्ष के मुकाबले सकारात्मक वृद्धि दिखाई।
निवेश के मोर्चे पर इंफ्रास्ट्रक्चर/कंस्ट्रक्शन गुड्स में 10.6 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि देखी गई है। सार्वजनिक पूंजीगत व्यय निवेश की गति को बनाए रखे हुए है, जबकि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच निजी पूंजीगत व्यय धीमा बना हुआ है।
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, "जीएसटी सुधार के कारण त्योहारों के मौसम से पहले मांग में बढ़ोतरी की संभावना है, इसलिए खपत के रुझानों पर ध्यान देना आवश्यक होगा।"
इसके साथ ही, आयकर में कटौती, कम खाद्य मुद्रास्फीति और आरबीआई की ब्याज दर में कटौती से खपत को बढ़ावा मिलेगा।
सिन्हा ने कहा, "बाहरी कठिनाईयों के बीच, इन पहलुओं से घरेलू मांग में सुधार से निजी पूंजीगत व्यय को बढ़ावा मिल सकता है और आगे चलकर आईआईपी के समग्र विकास को समर्थन मिल सकता है।"