क्या हनुमान बेनीवाल ने संसद में रूस में फंसे 61 भारतीयों की वतन वापसी का मुद्दा उठाया?
सारांश
Key Takeaways
- 61 भारतीय युवाओं की युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित वापसी आवश्यक है।
- परिवारों की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
- विदेश मंत्रालय को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
- एजेंटों द्वारा धोखे से भेजना एक गंभीर अपराध है।
- भारत और रूस के संबंधों का लाभ उठाना चाहिए।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को आरएलपी के नेता और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने रूस में फंसे 61 भारतीय नागरिकों की वतन वापसी का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि राजस्थान सहित अन्य राज्यों के कई युवा स्टडी और वर्क वीजा पर रूस गए थे, लेकिन एजेंटों ने उन्हें धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेज दिया। उनके परिवारों ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है।
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान के मनोज सिंह शेखावत, अजय कुमार, संदीप सूंडा, महावीर प्रसाद, करमचंद और अन्य राज्यों के 61 युवक कई महीनों से रूस-यूक्रेन युद्ध में जबरन सैन्य गतिविधियों में लगे हुए हैं। इन युवाओं का अपने परिवारों से पिछले तीन-चार महीने से कोई संपर्क नहीं हुआ है। प्रभावित परिवारों ने 3 नवंबर और 1 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देकर अपनी पीड़ा को सरकार के समक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि इस मामले की सूचना उन्होंने विदेश मंत्रालय को भी दे दी है और अब तत्काल इन भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। रूस सरकार से बातचीत कर इन युवाओं को युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकालकर वतन वापसी की ठोस पहल की जानी चाहिए।
हनुमान बेनीवाल ने इसे एक गंभीर आपराधिक कृत्य बताया क्योंकि एजेंटों ने युवाओं को नौकरी और सामान्य काम का झांसा देकर सीधे फ्रंटलाइन पर भेज दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई जरूरी है।
संसद के बाहर मीडिया से बातचीत में हनुमान बेनीवाल ने कहा कि युवाओं के परिजन लगातार उनके संपर्क में हैं। राजस्थान के पांच से अधिक युवा स्टडी और वर्क वीजा पर रूस गए थे, लेकिन उन्हें यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए भेज दिया गया। यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है। उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच अच्छे संबंध हैं, इसलिए सरकार से आग्रह किया है कि इन 61 भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया जाए।
बेनीवाल ने बताया कि विदेश मंत्री ने इस मामले में सूची जारी की है, जिसमें राजस्थान के आधा दर्जन से अधिक युवा भी शामिल हैं, जो अभी मिसिंग हैं। उन्होंने कहा कि परिवार भयभीत और चिंतित हैं और धरना देने के बावजूद उनकी पीड़ा को पर्याप्त सुनवाई नहीं मिली।
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया गया है और प्रधानमंत्री से भी इस पर ध्यान देने की अपील की गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे के समय भी यह मामला महत्वपूर्ण रहेगा और सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि युवाओं की सुरक्षित वतन वापसी जल्द से जल्द हो।