क्या सीएम हेमंत ने शिबू सोरेन से जुड़ी भावनाएं साझा कीं?

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क्या सीएम हेमंत ने शिबू सोरेन से जुड़ी भावनाएं साझा कीं?

सारांश

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दिवंगत पिता शिबू सोरेन के प्रति अपनी भावनाओं को सोशल मीडिया पर साझा किया। उन्होंने अपने पिता की शिक्षाओं और संघर्षों को याद करते हुए लिखा है कि वे उनके लिए केवल पिता ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक थे।

Key Takeaways

  • हेमंत सोरेन ने अपने दिवंगत पिता की शिक्षाओं को याद किया।
  • शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष और सादगी का प्रतीक था।
  • मुख्यमंत्री ने अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया।
  • झारखंड आंदोलन के सबसे बड़े नायक थे शिबू सोरेन।
  • उनकी अंतिम यात्रा में कई प्रमुख नेता शामिल होंगे।

रांची, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दिवंगत पिता शिबू सोरेन से जुड़ी भावनाओं को सोशल मीडिया पर साझा किया है।

मंगलवार सुबह उन्होंने एक्स हैंडल और फेसबुक पर भावनात्मक पोस्ट में लिखा, "मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया। मैं उन्हें सिर्फ 'बाबा' नहीं कहता था; वे मेरे मार्गदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे, और उस जंगल जैसी छाया थे जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।"

उन्होंने आगे लिखा कि गुरुजी सिर्फ उनके 'बाबा' नहीं थे, बल्कि उनके जीवन के सबसे बड़े शिक्षक, प्रेरक और संघर्ष की मिसाल थे। उन्होंने बचपन के संस्मरण साझा करते हुए कहा, "मैंने उन्हें देखा है हल चलाते हुए, लोगों के बीच बैठते हुए, सिर्फ भाषण नहीं देते थे, लोगों का दुःख जीते थे। बचपन में जब मैं उनसे पूछता था- बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं? तो वे मुस्कुराकर कहते- क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली। वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी, न संसद ने दी—झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी।"

मुख्यमंत्री ने लिखा, "बचपन से ही मैं उन्हें जनजातीय समाज, गरीब, वंचित और शोषितों की आवाज़ उठाते देखता रहा हूं। उन्होंने अपने संघर्ष से झारखंड राज्य का सपना साकार किया। लेकिन सत्ता उनके लिए कभी लक्ष्य नहीं रही, बल्कि वह जनसेवा के माध्यम भर थी।"

शिबू सोरेन की जीवन सादगी, नैतिकता और संघर्ष का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा, "मैंने उनसे सीखा कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों पर अडिग रहा जाता है। उन्होंने कभी हार नहीं मानी, कभी झुके नहीं। वे झारखंड की आत्मा थे, और रहेंगे।"

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लेते हैं। उन्होंने लिखा, "मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा। झारखंड आपका कर्ज़दार रहेगा।"

झारखंड आंदोलन के सबसे बड़े नायक 81 वर्षीय शिबू सोरेन का निधन सोमवार को नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया था। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को अपराह्न 12 बजे के बाद उनके पैतृक गांव रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में होगा। मुखाग्नि उनके छोटे पुत्र बसंत सोरेन देंगे। अंत्येष्टि में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित देश के कई प्रमुख नेता शामिल होंगे।

Point of View

यह स्पष्ट है कि हेमंत सोरेन का अपने पिता के प्रति यह भावनात्मक पोस्ट झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दर्शाता है कि कैसे एक नेता अपने पूर्वजों के मूल्यों को अपनाता है।
NationPress
05/08/2025

Frequently Asked Questions

हेमंत सोरेन ने अपने पिता के बारे में क्या कहा?
हेमंत सोरेन ने कहा कि वे अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहे हैं और उनके पिता केवल उनके बाप नहीं थे, बल्कि उनके मार्गदर्शक भी थे।
शिबू सोरेन का निधन कब हुआ?
शिबू सोरेन का निधन सोमवार को नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में इलाज के दौरान हुआ।