क्या हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार आपदा राहत में भेदभाव कर रही है?

सारांश
Key Takeaways
- आपदा राहत में भेदभाव का आरोप
- विशेष राहत पैकेज की कमी
- केंद्र सरकार की सहायता
- राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
- हिमाचल प्रदेश की स्थिति
बिलासपुर, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने सरकार पर प्राकृतिक आपदा को गंभीरता से न लेने का गंभीर आरोप लगाया।
भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने पत्रकारों से संवाद करते हुए कहा कि वर्ष 2023 की तरह इस बार भी सरकार ने आपदा प्रभावितों के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा नहीं की, जिससे प्रदेश के कई जिलों के लोग राहत से वंचित रह गए। उन्होंने कहा कि केवल मंडी जिले को राहत पैकेज मिला, जबकि पूरे प्रदेश को इसकी आवश्यकता थी।
आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया, "इस साल बरसात के कारण प्रदेश में 300 से अधिक मौतें हुईं, 50 लोग लापता हैं, 1700 से अधिक घर पूरी तरह नष्ट हुए, और साढ़े सात हजार घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। इसके अलावा, साढ़े आठ हजार पशुशालाएं भी प्रभावित हुईं। उनके विधानसभा क्षेत्र में भी 100 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए, लेकिन प्रभावितों को केवल पांच हजार रुपए की मामूली राहत दी गई।" उन्होंने कहा कि विशेष राहत पैकेज के अभाव में प्रभावितों को सात लाख के बजाय मात्र 1.30 लाख रुपए मिल रहे हैं, जो बहुत कम है।
कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "जब हिमाचल आपदा से जूझ रहा था, तब गांधी परिवार कहीं नजर नहीं आया। हालांकि, शिमला के रिज मैदान पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा के अनावरण के लिए वे जरूर पहुंचे।" उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पार्टी आपदा में भी राजनीति कर रही है और प्रभावितों की अनदेखी कर रही है।
आपदा के समय केंद्र सरकार की मदद की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने हिमाचल को इस साल एनडीआरएफ के तहत 591 करोड़, एसडीटीएफ के 397 करोड़ और अन्य मदों में 59.70 करोड़ रुपए की सहायता दी। पिछले तीन वर्षों में केंद्र से 5300 करोड़ रुपए मिले हैं।" उन्होंने मांग की कि पूरे प्रदेश को विशेष राहत पैकेज दिया जाए और भूस्खलन से जमीन खोने वालों के लिए 'जमीन के बदले जमीन' की नीति लागू की जाए।