क्या इन्फैंट्री दिवस सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है?
सारांश
Key Takeaways
- इन्फैंट्री दिवस भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है।
- भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इन्फैंट्री की विविधता और विकास इसे विशेष बनाते हैं।
- ड्रोन तकनीक से इन्फैंट्री की क्षमता में वृद्धि हुई है।
- यह दिन हमें अपने वीर जवानों की याद दिलाता है।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 27 अक्टूबर 1947 का दिन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसी दिन भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया और भारत की संप्रभुता को सुदृढ़ किया। इसे इन्फैंट्री दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
वास्तव में, आज ही के दिन वर्ष 1947 में भारतीय सेना की एक सिख रेजिमेंट के वीर जवान श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरे थे। इन जवानों ने पाकिस्तान समर्थित घुसपैठियों को खदेड़ दिया था। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित करने वाला एक ऐतिहासिक क्षण था। 27 अक्टूबर 1947 की सुबह लगभग 5 बजे, भारतीय वायुसेना का डकोटा विमान विंग कमांडर के.एल. भाटिया की अगुवाई में दिल्ली से उड़ान भरा। इस विमान में लेफ्टिनेंट कर्नल दीवान रणजीत राय और 1 सिख रेजिमेंट के बहादुर सैनिक शामिल थे। लगभग 3 घंटे 55 मिनट की उड़ान के बाद विमान श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरा।
यह भारतीय सेना की पहली टुकड़ी थी जो जम्मू-कश्मीर में उतरी और पाकिस्तान समर्थित कबायली हमलावरों से घाटी की रक्षा की। लेफ्टिनेंट कर्नल रणजीत राय के नेतृत्व में इन सैनिकों ने श्रीनगर हवाई अड्डे की सुरक्षा सुनिश्चित की और आगे बढ़ते हुए बारामूला की ओर मोर्चा संभाला। विंग कमांडर भाटिया के नेतृत्व में भारतीय वायुसेना के 12 स्क्वाड्रन के डकोटा विमानों ने बाद में लगातार उड़ानें भरकर सैनिकों और आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की। इस ऑपरेशन ने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दिन भारतीय सेना और वायुसेना की वीरता, तत्परता और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बन गया।
भारतीय सैन्य बलों ने यह साबित कर दिया कि भारत अपनी भूमि की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है। सोमवार को भारतीय सेनाओं ने उन वीर जवानों को याद किया। जवानों की याद में थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, उप थल सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह और एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने इन्फैंट्री दिवस पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की।
यह ध्यान देने योग्य है कि अटूट शक्ति, सहनशीलता, अनुशासन और नैतिक साहस भारतीय इन्फैंट्री की पहचान हैं। इन्फैंट्री की दृढ़ता ने उसे विश्वभर में विशिष्ट पहचान दी है। भारतीय सेना के ‘सेवा, समर्पण और शौर्य’ के मूल मूल्यों पर आधारित यह परंपरा निरंतर आगे बढ़ रही है। शौर्य दिवस का ऐतिहासिक महत्व दर्शाता है कि यह इन्फैंट्री के पराक्रम की याद में मनाया जाता है। भारतीय सेना की रीढ़ कही जाने वाली इन्फैंट्री में तब से अब तक बहुत बड़े बदलाव हुए हैं। इन्फैंट्री लगातार आधुनिक तकनीक से सक्षम और सशक्त हो रही है।
भारतीय सेना के डीजी इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार के अनुसार, सेना की पहली 5 भैरव बटालियन स्थापित की जा चुकी हैं। जल्द ही और भैरव बटालियन स्थापित की जाएंगी। सेना की इस पहल से भारतीय इन्फैंट्री की रफ्तार और मारक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। भारतीय सेना के जवानों को ड्रोन तकनीक से भी लैस किया गया है। भैरव बटालियन फुर्तीली, तेज कार्रवाई करने वाली और अचानक हमले की क्षमता से लैस हैं। हर बटालियन में लगभग 250 उच्च प्रशिक्षित जवान शामिल हैं, जिन्हें विशेष ऑपरेशन और सीमा क्षेत्रों में तैनाती के लिए तैयार किया गया है। इन बटालियनों की सबसे बड़ी ताकत उनका मल्टी-डोमेन एकीकरण है।
इनमें आर्टिलरी, सिग्नल्स और एयर डिफेंस शाखाओं से चुने गए सैनिकों को भी शामिल किया गया है, जिससे यह फॉर्मेशन विभिन्न प्रकार के कॉम्बैट ऑपरेशनों के लिए अत्यधिक सक्षम बन गई है। लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि इसके अलावा ‘अशनि’ ड्रोन प्लाटून को भारतीय सेना की बटालियनों में स्थापित किया गया है। इन प्लाटून के पास निगरानी, आक्रमण और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए हर प्रकार के अत्याधुनिक ड्रोन सिस्टम्स मौजूद हैं।