क्या इराक ने अमेरिका की कार्रवाई पर अपनी नाराजगी व्यक्त की?

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिकी प्रतिबंध इराकी संस्थाओं पर लागू किए गए हैं।
- इराक ने इसे एकतरफा कार्रवाई करार दिया है।
- इराकी सरकार ने मित्रता और आपसी सम्मान की भावना को प्राथमिकता दी है।
- प्रधानमंत्री ने एक उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय समिति का गठन किया है।
- कानून के शासन और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के प्रति इराक की प्रतिबद्धता।
बगदाद, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका ने इराक की संस्थाओं पर ट्रेजरी प्रतिबंध लगाए हैं। इस पर इराक की प्रतिक्रिया काफी तीखी रही है। इराक ने अमेरिकी वित्त विभाग के इस कदम को कड़ी आलोचना का निशाना बनाया और इसे एकतरफा कार्रवाई करार दिया।
इराकी सरकार ने शनिवार को इन प्रतिबंधों को दोनों देशों के बीच “मित्रता और आपसी सम्मान” की भावना के विपरीत बताया। इराक की सरकार के प्रवक्ता बसीम अल-अवादी ने इस संदर्भ में एक बयान जारी किया।
बसीम अलावादी ने कहा, "इराक सरकार इस एकतरफा कार्रवाई को बेहद खेदजनक मानती है, क्योंकि यह मित्रता और आपसी सम्मान की भावना के विपरीत है, जो लंबे समय से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की विशेषता रही है। पूर्व परामर्श या बातचीत के बिना ऐसा निर्णय लेना सहयोगी देशों के बीच संबंधों के प्रति दृष्टिकोण में एक नकारात्मक मिसाल पेश करता है।"
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी वित्त विभाग ने गुरुवार को इन प्रतिबंधों की घोषणा की। इस कार्रवाई का उद्देश्य “उन व्यक्तियों और कंपनियों” के खिलाफ कार्यवाही करना है जो ईरानी शासन को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने, हथियारों की तस्करी करने और इराक में व्यापक भ्रष्टाचार में लिप्त होने में मदद करते हैं।
अमेरिकी वित्त विभाग ने मुहंदिस जनरल कंपनी और तीन इराकी बैंक अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इन पर ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया के लिए धनशोधन का आरोप है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इराकी सरकार ने यह बात दोहराई है कि वह कानून के शासन और अपने द्वारा हस्ताक्षरित अंतरराष्ट्रीय संधियों और समझौतों के प्रति प्रतिबद्ध है। सरकार ने अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका से, तकनीकी और वित्तीय मामलों पर सहयोग और जानकारी साझा करने का आह्वान किया है।
इसी संदर्भ में, इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने संबंधित मामले की समीक्षा करने और 30 दिनों के भीतर सभी आवश्यक कानूनी और प्रशासनिक उपायों सहित एक विस्तृत रिपोर्ट और सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए एक उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय समिति के गठन का निर्देश दिया है।