क्या सत्ता से बेदखल होते हैं तो बैरिकेड तोड़ते हैं? जदयू नेता नीरज कुमार का तंज

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष की दोहरी नीति पर नीरज कुमार का तंज।
- लोकतंत्र में सभी को अधिकार है, लेकिन जिम्मेदारियों का भी पालन करना चाहिए।
- राजनीति में संविधान की अहमियत को समझना आवश्यक है।
पटना, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीरज कुमार ने 'इंडिया ब्लॉक' के संसद से चुनाव आयोग तक के मार्च पर तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष सत्ता से बाहर होने पर बैरिकेड तोड़ने जैसे कार्य करता है।
सोमवार को इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने मार्च निकाला, जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव बैरिकेड पर चढ़े। पुलिस ने कई सांसदों को हिरासत में भी लिया।
जदयू नेता नीरज कुमार ने विपक्षी सांसदों के प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने पर तंज कसते हुए कहा कि इससे गलत संदेश जाता है। उन्होंने विपक्ष की दोहरी नीति पर सवाल उठाया कि सत्ता में रहते हुए वे प्रतिबंधित क्षेत्र में न जाने की सलाह देते हैं, लेकिन सत्ता से बाहर होने पर बैरिकेड तोड़ते हैं। उन्होंने विपक्ष से पूछा, "क्या वे सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक संस्था मानते हैं, क्योंकि वे चुनाव आयोग को ऐसी संस्था नहीं मानते।"
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को चुनाव आयोग से मिले नोटिस पर उन्होंने कहा कि यह तो चुनाव आयोग और राहुल गांधी के बीच का मामला है। लेकिन, जहां तक मुझे लगता है, राहुल गांधी को नोटिस का जवाब देना चाहिए। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और वह संवैधानिक पद पर हैं।
जदयू प्रवक्ता ने पीएम मोदी के ‘कोसी’ वाले बयान पर कहा कि लोकतंत्र में आपत्ति जताने का सभी को अधिकार है, लेकिन सरकार को नामकरण का भी अधिकार है। उन्होंने जोड़ा कि इतिहास नहीं बदलता, और नई पीढ़ी को इतिहास की घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जानने की जरूरत है, जो देश की जनता की अपेक्षा है।
बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से जुड़े डुप्लिकेट ईपीआईसी (वोटर आईडी) नंबर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह मामला डुप्लीकेसी का है न कि राजनीतिक। उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं के स्तर पर डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर की जानकारी सामने आई है।
तेजस्वी यादव इसे हठधर्मिता का मुद्दा बना रहे हैं, जबकि विजय सिन्हा ने कहा है कि उन्होंने एक जगह से वोटर कार्ड हटाने के लिए फॉर्म-7 भरा है।
जदयू नेता ने कहा कि यह राजनीति का मुद्दा नहीं है, बल्कि डुप्लीकेसी का मामला है, और यदि कोई गलती है तो उसे ठीक करना लोकतंत्र के लिए उचित होगा।