क्या झारखंड भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष ने हेमंत सरकार पर पिछड़ा वर्ग से विश्वासघात का आरोप लगाया?

सारांश
Key Takeaways
- हेमंत सरकार पर आरोप: पिछड़ा वर्ग के साथ विश्वासघात
- नगर निकाय चुनावों में 14 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान
- पार्टी वादे: 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा
- आदित्य साहू का ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पर ध्यान
- कांग्रेस का मंडल कमीशन पर रुख
जमशेदपुर, 16 अक्तूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड भाजपा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने झारखंड की झामुमो-कांग्रेस-राजद की गठबंधन सरकार पर पिछड़ा वर्ग के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनावों में सरकार ने पिछड़ा वर्ग की जातियों के लिए अधिकतम 14 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया है, जबकि चुनावी घोषणा पत्र में तीनों पार्टियों ने इन्हें 27 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था.
जमशेदपुर में गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए साहू ने कहा, “झारखंड में पिछड़ा वर्ग की आबादी लगभग 50 प्रतिशत है, लेकिन हेमंत सरकार उनके अधिकारों की अनदेखी कर रही है। यह सरकार न तो अपनी नीतियों में ईमानदार है और न ही नीयत में.”
आदित्य साहू ने कहा कि न्यायालय के निर्देश के बाद ही राज्य में पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी की गई, अन्यथा इसी सरकार ने पंचायत चुनाव पिछड़ों को आरक्षण दिए बगैर करा दिए थे। ट्रिपल टेस्ट सर्वे के नाम पर तीन साल से सभी निकायों के चुनाव लंबित रखना भी अलोकतांत्रिक है.
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “यही कांग्रेस है जिसने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को वर्षों तक ठंडे बस्ते में रखा और कभी पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया.”
साहू ने कहा कि भाजपा और एनडीए सरकार ने ही पिछड़ा समाज को सम्मान और अधिकार दिलाने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पिछड़ा वर्ग से आते हैं, उपराष्ट्रपति भी उसी समाज से हैं और मोदी सरकार ने ही पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। साहू ने दावा किया कि हेमंत सरकार हर वर्ग का विश्वास खो चुकी है। न आदिवासी खुश हैं, न दलित, न पिछड़ा, न सवर्ण। यह सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है.