क्या झारखंड में एसआईआर से पहले मतदाताओं की पैतृक मैपिंग तेज हो रही है?

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क्या झारखंड में एसआईआर से पहले मतदाताओं की पैतृक मैपिंग तेज हो रही है?

सारांश

झारखंड में पहली बार मतदाताओं की पैतृक मैपिंग का अभियान चलाया जा रहा है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने समयबद्ध कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रक्रिया से आगामी मतदाता सूची में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ने की उम्मीद है।

Key Takeaways

  • मतदाताओं की पैतृक मैपिंग का अभियान झारखंड में शुरू किया गया है।
  • मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने समय पर कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं
  • यह प्रक्रिया आगामी चुनावों में पारदर्शिता बढ़ाएगी।

रांची, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में वोटर लिस्ट की एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) से पूर्व, निर्वाचन आयोग ने राज्यभर में पहली बार मतदाताओं की पैतृक मैपिंग का अभियान आरम्भ किया है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) रवि कुमार ने मंगलवार को सभी जिलों के ईआरओ और उप निर्वाचन पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इस कार्य को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए।

सीईओ ने जानकारी दी कि वर्तमान मतदाता सूची के नामों को वर्ष 2003 की मतदाता सूची से जोड़कर पैतृक मैपिंग का कार्य जारी है। कई विधानसभा क्षेत्रों में यह प्रक्रिया 70 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी है, जिससे आगामी गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया और अधिक सुगम बनेगी।

उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में प्रगति अपेक्षाकृत कम है, वहां वोटर आउटरीच प्रोग्राम का आयोजन कर इस कार्य में तेजी लाई जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पैतृक मैपिंग में किसी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कार्य निर्वाचन आयोग के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे निर्धारित समय सीमा में पूरा करना अनिवार्य है।

उन्होंने निर्देश दिया कि राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें आयोजित करें और उनसे बूथ लेवल एजेंट की नियुक्ति में तेजी लाने का आग्रह करें ताकि आगामी मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

बैठक में संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुबोध कुमार, उप निर्वाचन पदाधिकारी धीरज कुमार ठाकुर और सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारी तथा उप निर्वाचन पदाधिकारी उपस्थित रहे।

राज्य में पहली बार हो रही पैतृक मैपिंग को आयोग मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने की एक महत्वपूर्ण पहल मान रहा है। इसके सफलतापूर्वक पूरा होने से मतदाता सूची में दोहरे नाम, मृतक मतदाताओं के नाम और स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान में भी सहायता मिलेगी, जिससे आगामी चुनावी प्रक्रियाएं और अधिक सटीक और पारदर्शी हो सकेंगी।

Point of View

यह कहा जा सकता है कि झारखंड में मतदाताओं की पैतृक मैपिंग एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार लाएगा, बल्कि मतदाता सूची की सटीकता को भी सुनिश्चित करेगा।
NationPress
18/11/2025

Frequently Asked Questions

मतदाताओं की पैतृक मैपिंग क्या है?
यह एक प्रक्रिया है जिसमें मतदाताओं के नामों को उनकी पूर्व मतदाता सूची से जोड़ा जाता है।
इस प्रक्रिया का क्या महत्व है?
इससे मतदाता सूची में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी, जिससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार होगा।
कब तक यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है?
निर्वाचन आयोग ने इसे निर्धारित समय सीमा में पूरा करने के लिए निर्देश दिए हैं।
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