क्या झारखंड में दलित नेतृत्व के उत्थान के लिए कांग्रेस का अभियान सफल होगा?

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क्या झारखंड में दलित नेतृत्व के उत्थान के लिए कांग्रेस का अभियान सफल होगा?

सारांश

झारखंड कांग्रेस ने दलित नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष अभियान की शुरुआत की है। क्या यह अभियान वास्तव में दलितों के उत्थान में सहायक होगा? जानिए इस अभियान की महत्वपूर्ण बातें और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता।

Key Takeaways

  • झारखंड कांग्रेस का दलित नेतृत्व के उत्थान का नया अभियान।
  • डॉ. भीमराव अंबेडकर की सोच के अनुरूप कार्य करना।
  • केंद्र सरकार का दलितों के अधिकारों पर हमला।
  • दलित छात्रों के लिए हॉस्टलों की कमी।
  • कांग्रेस का दलित हितों के लिए सख्त रुख।

रांची, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड कांग्रेस ने राज्य में दलित नेतृत्व को प्रोत्साहित करने और उन्हें संगठन से जोड़ने के लिए एक विशेष अभियान की शुरुआत की है। इसी कड़ी में रविवार को झारखंड की पुरानी विधानसभा के सभागार में आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रभारी के राजू ने कहा कि एक ओर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा के अनुरूप दलितों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं दूसरी ओर केंद्र की भाजपा सरकार उनके संवैधानिक अधिकारों पर हमले कर रही है।

के राजू ने आगे कहा कि पिछले 11 वर्षों में इस सरकार ने दलितों के लिए बनाई गई योजनाओं के बजट को कम किया या उन्हें बंद कर दिया। विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं और महत्वपूर्ण सरकारी निकायों में अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व एक सुनियोजित तरीके से घटाया गया है।

कांग्रेस विधायक सुरेश बैठा ने केंद्र और राज्य सरकार पर दलित कल्याण के मुद्दे पर गंभीरता से न निपटने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि झारखंड में अनुसूचित जाति आयोग सक्रिय नहीं है और न ही वित्त निगम का गठन हुआ है। दलित छात्रों के लिए हॉस्टलों की संख्या बहुत कम है; जहां आदिवासियों के लिए 121 हॉस्टल हैं, वहीं दलित छात्रों के लिए केवल 23 हॉस्टल उपलब्ध हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही दलितों के हितों के लिए खड़ी रही है और यदि केंद्र सरकार संविधान को कमजोर करने का प्रयास करती है, तो कांग्रेस इसका कड़ा विरोध करेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में दलित नेतृत्व को उचित स्थान दिलाने के लिए एक ठोस रणनीति के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। कार्यशाला में कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष केदार पासवान, प्रवक्ता निरंजन पासवान, प्रदेश सचिव पप्पू पासवान, प्रवक्ता जगदीश साहू और मीडिया विभाग के चेयरमैन सतीश पॉल मुंजनी सहित राज्य भर से अनुसूचित जाति के कांग्रेस नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यशाला में प्रतिभागियों के बीच भारतीय संविधान की प्रतियां भी वितरित की गईं।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि दलित नेतृत्व का उत्थान केवल राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक आवश्यकता है। कांग्रेस का यह अभियान यदि सही दिशा में आगे बढ़ता है, तो यह न केवल दलितों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा, बल्कि समाज में समानता की भावना को भी बढ़ावा देगा।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

कांग्रेस का दलित नेतृत्व के उत्थान अभियान क्या है?
कांग्रेस ने दलित नेतृत्व को प्रोत्साहित करने और उन्हें संगठन से जोड़ने के लिए एक विशेष अभियान की शुरुआत की है।
क्या भाजपा सरकार दलितों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है?
हां, कांग्रेस के मुताबिक, भाजपा सरकार दलितों के संवैधानिक अधिकारों पर हमले कर रही है।
झारखंड में दलितों के लिए हॉस्टल की संख्या कितनी है?
झारखंड में दलित छात्रों के लिए केवल 23 हॉस्टल उपलब्ध हैं, जबकि आदिवासियों के लिए 121 हॉस्टल हैं।