क्या काशी तमिल संगमम में युवा तमिल व्याकरण सीख रहे हैं?

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क्या काशी तमिल संगमम में युवा तमिल व्याकरण सीख रहे हैं?

सारांश

काशी तमिल संगमम 4.0 में तमिलनाडु से आए आध्यात्मिक दल का भव्य स्वागत हुआ। इस आयोजन में शिक्षा मंत्रालय की सहभागिता से काशी और तमिल की प्राचीन सभ्यताओं को एक साथ लाया गया है। क्या आप जानते हैं कि इस पहल के माध्यम से युवा तमिल व्याकरण भी सीख रहे हैं?

Key Takeaways

  • काशी तमिल संगमम 4.0 का आयोजन सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करता है।
  • यह आयोजन तमिल भाषा और संस्कृति को समझने का अवसर प्रदान करता है।
  • इंटरैक्टिव लर्निंग सत्र से युवा बेहतर तरीके से सीख रहे हैं।
  • तिरुक्कुरल ग्रंथ का महत्व समझाया जा रहा है।
  • यह पहल एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को उजागर करती है।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। काशी तमिल संगमम 4.0 में भाग लेने के लिए तमिलनाडु से सातवां आध्यात्मिक दल विशेष ट्रेन द्वारा रविवार को बनारस पहुंचा। इस महत्वपूर्ण आयोजन में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, आईआईटी मद्रास और बीएचयू की सहभागिता है। यह आयोजन काशी और तमिल की दो प्राचीन सभ्यताओं को और निकट लाता है और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को जीवंत करता है।

इस वर्ष का यह संस्‍करण तमिल करकलाम पर आधारित है, जिसमें तमिल भाषा सीखने और भाषा की एकता को संगमम के केंद्र में रखा गया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत केंद्रीय शास्त्रीय भाषा संस्थान (सीआईसीटी) का स्टॉल तमिल भाषा, साहित्य और संस्कृति को समझने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरा है। इस स्टॉल का उद्देश्य ‘तमिल करकलाम’ (तमिल सीखें) पहल के माध्यम से तमिल शास्त्रीय भाषा को सरल, सुलभ और बहुभाषी स्वरूप में प्रस्तुत करना है। यहां तमिल शास्त्रीय ग्रंथों का हिंदी अनुवाद कर समस्त पुस्तकें स्टॉल पर उपलब्ध कराई गई हैं। इसके साथ ही यहां हिंदी, तमिल, अंग्रेजी, थाई सहित कई अन्य भाषाओं में भी पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं, जिससे काशी और तमिलनाडु से आए प्रतिनिधि तमिल साहित्य को सहजता से समझ सकें।

स्टॉल पर विशेष रूप से तिरुक्कुरल ग्रंथ उपलब्ध है, जो लगभग 300 वर्ष पुराना माना जाता है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह ग्रंथ तीन भागों में विभाजित है: प्रथम भाग में धर्म, द्वितीय भाग में अर्थ और तृतीय भाग में प्रेम के दर्शन प्रस्तुत किए गए हैं। जैसे हिंदी में अर्थशास्त्र का महत्व है, उसी प्रकार तिरुक्कुरल तमिल समाज का नैतिक और दार्शनिक आधार है।

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार यहां इंटरैक्टिव लर्निंग सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं। शिक्षक पांच प्रमुख पुस्तकों के माध्यम से सरल व्याकरण, तमिल शब्दकोश, संवाद अभ्यास और तमिल अक्षर लिखाई सिखा रहे हैं। चार्ट और दृश्य सामग्री के प्रयोग से बच्चों एवं नवशिक्षार्थियों के लिए सीखना और अधिक सहज हो गया है।

इसके अतिरिक्त पीएम ई-विद्या पहल के अंतर्गत ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से भी तमिल भाषा का शिक्षण कराया जा रहा है। वहीं इस बीच रविवार को काशी तमिल संगमम 4.0 में शामिल होने के लिए तमिलनाडु से सातवां आध्यात्मिक दल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा। स्टेशन पर उतरते ही इस दल का पारंपरिक तरीके से डमरू वादन, पुष्प वर्षा और ‘हर-हर महादेव’ तथा 'वणक्कम काशी’ के उद्घोष से भव्य स्वागत किया गया।

स्टेशन पर पारंपरिक स्वागत देखकर तमिल दल के सदस्यों में खासा उत्साह देखने को मिला। यहां पहुंचने पर कई लोगों का कहना था कि काशी में मिल रहा आध्यात्मिक वातावरण उनके लिए अविस्मरणीय है। डमरू वादन की ध्वनि से पूरा परिसर शिवमय हो गया और काशीतमिलनाडु की सांस्कृतिक एकता की झलक साफ दिखाई दी।

इस दल में शामिल रामानुज ने कहा कि यह पहल भारत की दो प्राचीन सभ्यताओं, काशी और तमिलनाडु, के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंधों का उत्सव है। सदियों से तीर्थयात्रियों, विद्वानों और साधकों ने दोनों क्षेत्रों के बीच ज्ञान, भाषा और परंपराओं का आदान-प्रदान किया है। संगमम उसी ऐतिहासिक जुड़ाव को आधुनिक संदर्भ में पुनर्स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि वे काशी, प्रयागराज और अयोध्या भ्रमण करने के लिए काफी उत्साहित हैं।

Point of View

जो न केवल सांस्कृतिक समागम को प्रोत्साहित करता है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूक करने का अवसर भी प्रदान करता है। यह आयोजन भारत की विविधता को एक साथ लाने का एक अद्वितीय उदाहरण है।
NationPress
14/12/2025

Frequently Asked Questions

काशी तमिल संगमम 4.0 का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य काशी और तमिल की प्राचीन सभ्यताओं के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करना है।
इस कार्यक्रम में कौन-कौन से संस्थान शामिल हैं?
इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, आईआईटी मद्रास और बीएचयू शामिल हैं।
तमिल करकलाम क्या है?
यह तमिल भाषा सीखने की पहल है, जो संगमम के केंद्र में है।
तिरुक्कुरल ग्रंथ का क्या महत्व है?
यह ग्रंथ तमिल समाज का नैतिक और दार्शनिक आधार है।
इंटरैक्टिव लर्निंग सत्र में क्या सिखाया जाता है?
यहां सरल व्याकरण, संवाद अभ्यास और तमिल अक्षर लेखन सिखाया जाता है।
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