क्या कोजागरा पूजा से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है?

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क्या कोजागरा पूजा से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है?

सारांश

कोजागरा पूजा एक अनूठा अवसर है, जब भक्त रातभर जागकर मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं। इस विशेष दिन पर खीर का चांदनी में रखा जाना और दान-पुण्य का महत्व इसे और भी खास बनाता है। जानें इस पूजा की विशेष परंपराएं और मान्यताएं।

Key Takeaways

  • कोजागरा पूजा का आयोजन पूर्णिमा की रात किया जाता है।
  • मां लक्ष्मी की आराधना से धन और सुख की प्राप्ति होती है।
  • खीर को चांदनी में रखने की परंपरा है।
  • दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  • जागरण करना इस पूजा का मुख्य हिस्सा है।

नई दिल्ली, ६ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोजागरा पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसे कोजागरी पूर्णिमा और मिथिलांचल में चुमाओन के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व उत्तर भारत में विशेष महत्व रखता है। इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना से धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पुराणों के अनुसार, पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इस रात को ‘को जाग्रत’ (कौन जाग रहा है) कहते हुए मां लक्ष्मी उन घरों में प्रवेश करती हैं, जहां लोग भक्ति में लीन रहते हैं। इसलिए रातभर जागरण करना इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

इसके अलावा, शरद पूर्णिमा को चातुर्मास के शयनकाल का अंतिम चरण माना जाता है, जिसके बाद शुभ कार्यों का आरंभ होता है। इस दिन श्रद्धा से मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में समृद्धि और धन का आगमन होता है।

कोजागरा पूजा की सबसे खास परंपरा है खीर को चांदनी में रखा जाना। इस दिन खीर बनाकर उसे रातभर खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं। अगले दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

मिथिलांचल में कोजागरा पूजा नवविवाहित जोड़ों के लिए विशेष महत्व रखती है। मिथिलांचल में इस दिन वधू पक्ष की ओर से दूल्हे के घर कौड़ी, कपड़े, पान, मखाना, फल, मिठाई और मेवापाग मिठाई भेजी जाती हैं।

इसके पीछे की मान्यता है कि ये उपहार सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।

मान्यता है कि इस दिन जुआ सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से खेला जाता है। इससे सालभर धन की कमी नहीं होती।

कोजागरा पूजा में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को दूध, दही, चावल और अन्य अनाज दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

Point of View

बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देती है। इस दिन की परंपराएं हमारे सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने में सहायक हैं।
NationPress
06/10/2025

Frequently Asked Questions

कोजागरा पूजा का महत्व क्या है?
कोजागरा पूजा का महत्व मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और घर में धन-समृद्धि लाने में है।
कोजागरा पूजा में क्या विशेष अनुष्ठान होते हैं?
इस पूजा में रातभर जागरण, खीर बनाना और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
इस दिन क्या दान करना चाहिए?
इस दिन दूध, दही, चावल और अन्य अनाज का दान करना पुण्यकारी माना जाता है।
कोजागरा पूजा कब मनाई जाती है?
कोजागरा पूजा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है।
क्या कोजागरा पूजा केवल नवविवाहितों के लिए है?
नहीं, यह पूजा सभी के लिए है, लेकिन मिथिलांचल में नवविवाहितों के लिए विशेष महत्व रखती है।