क्या अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर फिर से छिड़ गया है? ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बढ़ाया!

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका ने चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया।
- चीन ने अपने उत्पादों पर निर्यात नियंत्रण लागू किया।
- यह व्यापारिक विवाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
- ट्रंप का यह कदम चीन के आक्रामक व्यापारिक रुख का परिणाम है।
- दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका और चीन के बीच एक नया ट्रेड वॉर शुरू होता दिखाई दे रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन से बेहद असंतुष्ट हैं। उन्होंने चीन पर १०० फीसदी टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है।
चीन ने अपने उत्पादों पर निर्यात नियंत्रण लागू करने की घोषणा की है, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति को भड़काया।
ट्रंप ने एक पोस्ट में लिखा, "मैंने हाल ही में सुना है कि चीन ने व्यापार के मामले में बेहद आक्रामक रुख अपनाते हुए दुनिया को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में कहा गया है कि वे १ नवंबर, २०२५ से अपने लगभग हर उत्पाद पर निर्यात नियंत्रण लागू करेंगे, यहां तक कि कुछ उत्पादों पर जो उन्होंने स्वयं निर्मित नहीं किए हैं। इसका प्रभाव सभी देशों पर पड़ेगा और यह स्पष्ट है कि उन्होंने इस योजना को वर्षों पहले ही तैयार कर लिया था। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए।"
चीन पर १०० फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन पर १०० प्रतिशत टैरिफ लगाएगा, जो वर्तमान में चीन द्वारा चुकाए जा रहे किसी भी टैरिफ के अतिरिक्त होगा। इसके अलावा, १ नवंबर से, हम सभी महत्वपूर्ण सॉफ़्टवेयर पर निर्यात नियंत्रण लगाएंगे। यह विश्वास करना कठिन है कि चीन ने ऐसा कोई कदम उठाया होगा, लेकिन उन्होंने इसे किया है, और अब यह सब इतिहास बन गया है।
जैसा कि सभी जानते हैं, चीन पर पहले से ३० फीसदी टैरिफ लागू है। अब ट्रंप ने १०० फीसदी अलग से टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, "चीन में कुछ बेहद अजीब हो रहा है! वे बहुत आक्रामक हो रहे हैं और दुनिया भर के देशों को पत्र भेज रहे हैं कि वे रेयर अर्थ्स से संबंधित हर उत्पादन तत्व पर निर्यात नियंत्रण लगाना चाहते हैं, भले ही वह चीन में निर्मित न हो। किसी ने पहले ऐसा नहीं देखा, लेकिन इससे बाजार 'अवरुद्ध' हो जाएंगे और लगभग सभी देशों के लिए, खासकर चीन, जीना कठिन हो जाएगा।"
उन्होंने कहा, "पिछले छह महीनों में हमारे चीन के साथ संबंध अच्छे रहे हैं, इसलिए यह कदम और भी आश्चर्यजनक है। मुझे हमेशा लगता था कि वे घात लगाए बैठे हैं, और अब मैं सही साबित हुआ हूँ! चीन को दुनिया को 'बंदी' बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, लेकिन ऐसा लगता है कि यह उनकी योजना थी।"
ट्रंप ने बताया कि चीन द्वारा भेजा गया पत्र कई पृष्ठों का है। जो बातें पहले सामान्य थीं, वे अब बिल्कुल भी सामान्य नहीं हैं। मैंने राष्ट्रपति शी से कोई बातचीत नहीं की है क्योंकि ऐसा करने का कोई कारण नहीं था।
ज्ञात रहे, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एपीईसी समिट में शामिल होने के लिए दक्षिण कोरिया जाने वाले थे। इस समिट में राष्ट्रपति जिनपिंग और ट्रंप की मुलाकात होने वाली थी, लेकिन अब यह मुलाकात अनिश्चितता में है।