क्या 'भगवा आतंकवाद' का मुद्दा बनाकर असली आतंकवादियों को बचाने की साजिश की गई है?: मुख्तार अब्बास नकवी

सारांश
Key Takeaways
- भगवा आतंकवाद का मुद्दा एक साजिश है।
- असली आतंकवादियों को बचाने की साजिश उजागर हो चुकी है।
- भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर है।
- मुख्तार अब्बास नकवी का यह कहना है कि राहुल गांधी की राय गलत है।
- राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता का खेल खत्म हो चुका है।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बीजेपी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भगवा आतंकवाद और देश की अर्थव्यवस्था पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि कुछ लोगों ने 'भगवा आतंकवाद' का झूठा मुद्दा बनाकर असली आतंकवादियों को बचाने की साजिश की। लेकिन अब यह साजिश बेनकाब हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया अलकायदा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों से लड़ रही थी, तब भारत में हो रही आतंकी घटनाओं के लिए 'भगवा आतंकवाद' का नाम लेकर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश की गई।
मुख्तार अब्बास नकवी के अनुसार, इस साजिश का उद्देश्य असली आतंकवाद से ध्यान हटाना और झूठी धर्मनिरपेक्ष राजनीति को बढ़ावा देना था। अब यह पाखंड समाप्त हो गया है। असली आतंकवादियों को संरक्षण देने का खेल अब उजागर हो चुका है, और इसके पीछे की राजनीतिक साजिश भी सामने आ गई है। देश की जनता और सरकार राष्ट्रीय हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर आगे बढ़ रही है।
अर्थव्यवस्था पर चर्चा करते हुए, नकवी ने राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि राहुल गांधी, जो विपक्ष के नेता हैं, अभी भी "डायनेस्टी के डिज्नीलैंड" में फंसे हुए हैं और भारत की ताकत को समझ नहीं पा रहे हैं। पिछले दस वर्षों में, जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट, युद्ध, कोविड और आतंकवाद की चुनौतियों से जूझ रही थी, तब भी भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर रही।
उन्होंने कहा कि कोविड जैसे दो साल के संकट और वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई, क्योंकि देश का वर्तमान नेतृत्व ऐसा करने में सक्षम है। मुख्तार अब्बास नकवी ने राहुल गांधी के "डेड इकोनॉमी" वाले बयान को खारिज करते हुए कहा कि जो लोग भारत विरोधी ताकतों के एजेंट बने रहेंगे, वे कभी भी देश की ताकत और जमीन को नहीं समझ पाएंगे। आज भारत दुनिया के लिए सबसे बड़ा बाजार बन गया है, जिसे कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता।