क्या भारत-चीन के रिश्तों में सुधार संभव है? : संजय निरुपम

सारांश
शिवसेना नेता संजय निरुपम ने पीएम मोदी के चीन दौरे के संदर्भ में भारत-चीन संबंधों में सुधार की आवश्यकता बताई है। उन्होंने दोनों देशों के बीच संवाद और सुलझाने की दिशा में कदम उठाने की अपील की है। क्या ऐसा संभव है? जानें उनके विचार।
Key Takeaways
- संवाद के माध्यम से विवाद सुलझाना आवश्यक है।
- भारत और चीन को संयुक्त बयान जारी करना चाहिए।
- किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
- संविधान के प्रति आदर जरूरी है।
- प्रधानमंत्री को बैठक का सही उपयोग करना चाहिए।
मुंबई, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना नेता संजय निरुपम ने प्रधानमंत्री मोदी के संभावित चीन दौरे के संदर्भ में भारत-चीन संबंधों में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच जो भी मुद्दे विद्यमान हैं, उन पर संवाद होना आवश्यक है और सुलझाने पर जोर देना चाहिए।
गुरुवार को राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि सीमा विवाद सहित कई मुद्दों के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों को सकारात्मक संवाद के माध्यम से हल करने की आवश्यकता है।
उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ और रूस से तेल आयात को लेकर उठाए गए सवालों का भी उल्लेख किया। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और चीन को मिलकर एक संयुक्त बयान जारी कर अमेरिका को उचित जवाब देना चाहिए, क्योंकि चीन भी रूस से तेल का आयात करता है।
शिवसेना प्रवक्ता ने पीएम मोदी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि टैरिफ के दबाव में नहीं आना चाहिए और किसी को भी झुकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
निरुपम ने कहा कि पीएम शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए चीन और संभवतः जापान जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत एससीओ का हिस्सा है, इसलिए इस बैठक में भाग लेना आवश्यक है।
उन्होंने सिफारिश की कि प्रधानमंत्री को इस अवसर का उपयोग करके सीमा विवाद और व्यापार से जुड़े मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि भारत के हितों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।
निरुपम ने राजद नेता तेजस्वी यादव को दो वोटर आईडी रखने के मामले में चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए नोटिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि तेजस्वी या अन्य नेता, जैसे राहुल गांधी और अखिलेश यादव, सभी संविधान की दुहाई देकर खुद को संवैधानिक बताने की कोशिश करते हैं। यदि मतदाता बनने की प्रक्रिया में कोई त्रुटि है, तो चुनाव आयोग के नोटिस पर उचित जवाब देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि आप सच में संविधानवादी हैं, तो आयोग के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखें, न कि हर बात पर अहंकार दिखाकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की साजिश करें।