क्या बिहार के विकास के लिए पांच पांडव ही जिम्मेदार होंगे: शांभवी चौधरी?
सारांश
Key Takeaways
- शांभवी चौधरी ने नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता को प्रमाणित किया।
- जनगणना ऐप का उपयोग डिजिटल इंडिया के लिए एक सकारात्मक कदम है।
- राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते समय एकता की आवश्यकता है।
पटना, १३ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोजपा (रामविलास) की समस्तीपुर से सांसद शांभवी चौधरी ने उन अफवाहों पर पूर्ण विराम लगाया है, जिनमें राजद का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर इंडिया ब्लॉक की ओर लौट सकते हैं। शांभवी ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक अफवाह है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के साथ मिलकर राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए शांभवी चौधरी ने कहा, "यह बयान पूरी तरह से बेबुनियाद है। नीतीश कुमार हमारे प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर एक मजबूत एनडीए सरकार के निर्माण के लिए सक्रिय हैं। आने वाले समय में बिहार के विकास के लिए केवल ये पांच पांडव ही काम करेंगे।"
शांभवी चौधरी ने जनगणना के लिए ऐप के उपयोग पर कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। पीएम मोदी का कहना है कि तकनीक का सही उपयोग होना चाहिए। हम डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रहे हैं। यह एक शानदार पहल है।
राहुल गांधी के एसआईआर पर उठाए गए सवालों के जवाब में शांभवी ने कहा कि एसआईआर पर चर्चा के दौरान पूरा मानसून सत्र व्यर्थ चला गया और सदन को स्थगित करना पड़ा। शीतकालीन सत्र में राहुल गांधी ने अपनी बात रखी और गृह मंत्री शाह ने उनका जवाब दिया, लेकिन वे उपस्थित नहीं थे। यह दर्शाता है कि वे एक स्वतंत्र चुनाव आयोग पर विश्वास नहीं करते और जनता को गुमराह कर रहे हैं। बिहार की जनता ने उन्हें जवाब दे दिया है।
ममता बनर्जी के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर दिए बयान पर उन्होंने कहा कि एसआईआर को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। यह एक स्वतंत्र प्रक्रिया है। भारत के नागरिक को वोट देने का अधिकार मिलना चाहिए। ममता बनर्जी चाहती हैं कि घुसपैठिए उन्हें वोट देकर चुनाव जिताएं। इसी कारण उनकी सहानुभूति उन पर है।
तेजस्वी यादव की विदेश यात्रा पर उन्होंने कहा कि बिहार में इतनी शर्मनाक हार के बाद इंडी अलायंस को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से काम करने पर चर्चा करनी चाहिए। मैं उनकी व्यक्तिगत जिंदगी पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती, लेकिन यह उनकी गंभीरता को दर्शाता है। इसके अलावा, बिहार विधानसभा का सत्र चल रहा था और वे सत्र को छोड़कर कहीं और चले गए, जो दिखाता है कि वे बिहार के मुद्दों को लेकर कितने गंभीर हैं।