क्या बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्राणपुर के राजनीतिक समीकरण बदलेंगे?

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क्या बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्राणपुर के राजनीतिक समीकरण बदलेंगे?

सारांश

क्या प्राणपुर विधानसभा सीट पर 2025 के चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे? जानें यहाँ चुनावी इतिहास, मौजूदा स्थिति और संभावित परिणाम के बारे में।

Key Takeaways

  • 2025 में प्राणपुर विधानसभा चुनाव बेहद रोचक होने की संभावना है।
  • मुस्लिम आबादी का वोटर विभाजन भाजपा की स्थिति को मजबूत करता है।
  • भाजपा, जेडीयू, और कांग्रेस-राजद गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होगा।

नई दिल्ली, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच प्राणपुर विधानसभा सीट एक बार फिर से चुनावी विश्लेषण का केंद्र बन गई है। कटिहार जिले के पूर्वी हिस्से में स्थित यह सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी और तब से अब तक यहां 11 बार चुनाव हो चुके हैं। यह पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें प्राणपुर और आजमनगर प्रखंड शामिल हैं।

कटिहार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट पश्चिम बंगाल की मालदा सीमा से सटी हुई है। रेल संपर्क प्राणपुर रोड स्टेशन से है और आसपास बरारी, कदवा, बलरामपुर और बरसोई जैसे इलाके हैं। प्राणपुर कोशी और महानंदा की तलहटी में बसा हुआ है, जिससे यहां की भूमि अत्यंत उपजाऊ है, लेकिन बाढ़ की आशंका हमेशा बनी रहती है। कृषि ही इस क्षेत्र की मुख्य आर्थिक गतिविधि है। धान, मक्का, दाल, जूट और केले-पान की खेती यहां की जाती है। हालांकि, पर्याप्त औद्योगिक विकास न होने से बड़ी संख्या में लोग आजीविका के लिए शहरों की ओर पलायन करते हैं।

2020 में इस सीट पर कुल 3,05,685 मतदाता दर्ज थे, जिनमें लगभग 46.80 फीसदी मुस्लिम, 8.20 फीसदी अनुसूचित जाति और 7.84 फीसदी अनुसूचित जनजाति के मतदाता थे। 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,15,030 हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि मुस्लिम आबादी लगभग आधी होने के बावजूद अब तक केवल दो बार मुस्लिम उम्मीदवार यहां से विजयी हो सके हैं। 1980 में मोहम्मद शकूर और 1985 में मंगन इंसान। दोनों कांग्रेस के टिकट से जीते थे। इससे यह साफ होता है कि यहां का मुस्लिम वोटर विभाजित रहा है।

चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो प्राणपुर सीट पर शुरुआती दबदबा जनता पार्टी और जनता दल का रहा। महेंद्र नारायण यादव ने पांच बार इस सीट पर जीत हासिल की—दो बार जनता दल और दो बार राष्ट्रीय जनता दल से। इसके अलावा, भाजपा के विनोद कुमार सिंह (उर्फ विनोद सिंह कुशवाहा) ने 2000, 2010 और 2015 में जीत दर्ज की थी। उनके निधन के बाद 2020 के चुनाव में भाजपा ने उनकी पत्नी निशा सिंह को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने कांग्रेस के तौकीर आलम को महज 2,972 वोटों के अंतर से हराया।

लोकसभा चुनावों में यह सीट आमतौर पर विपक्षी दलों के पक्ष में जाती रही है। 2019 में हालांकि जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी को यहां बढ़त मिली थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तारिक अनवर ने गोस्वामी को 11,383 वोटों से पीछे छोड़ दिया। इससे यह संकेत मिलता है कि मतदाता रुझान फिर से विपक्षी गठबंधन की ओर मुड़ रहे हैं। ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और महागठबंधन इस बढ़त को विधानसभा स्तर पर भुनाने की हरसंभव कोशिश करेंगे।

बावजूद इसके, भाजपा के लिए इस सीट पर पाने के लिए अभी भी बहुत कुछ है। तीन बार की लगातार जीत, पार्टी संगठन की जमीनी पकड़ और परंपरागत वोट के ध्रुवीकरण की संभावना इसे फिर से प्रतिस्पर्धा में बनाए रखती है। हालांकि, क्षेत्र में मतदाता सूची से बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और नाम हटाने की कोशिश, खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।

कुल मिलाकर, प्राणपुर विधानसभा 2025 के चुनाव में एक बेहद करीबी और रोचक मुकाबले का गवाह बनने जा रही है। यहां का हर वोट मायने रखेगा और विजेता का फैसला महज कुछ हजार वोटों के अंतर से तय हो सकता है। भाजपा, जेडीयू, एलजेपी और कांग्रेस-राजद गठबंधन के बीच मुकाबला कड़ा होगा। जनता का रुख किस ओर जाएगा, यह तो चुनाव के दिन ही तय होगा।

Point of View

लेकिन भाजपा की मजबूत पकड़ इस सीट को एक चुनौतीपूर्ण स्थान बनाती है। आगामी चुनावों में मतदाताओं का रुख किस ओर होगा, यह देखना बेहद रोचक होगा।
NationPress
03/08/2025

Frequently Asked Questions

प्राणपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास क्या है?
प्राणपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास जनता पार्टी और जनता दल से शुरू होता है। यह सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी और तब से अब तक कई बार राजनीतिक बदलाव देख चुकी है।
2025 के चुनाव में प्राणपुर का समीकरण क्या हो सकता है?
2025 के चुनाव में प्राणपुर का समीकरण मुस्लिम वोटरों की भागीदारी और भाजपा की स्थिति पर निर्भर करेगा।
इस सीट पर कितने मुस्लिम मतदाता हैं?
2020 में यहां लगभग 46.80 फीसदी मुस्लिम मतदाता थे।
भाजपा का प्राणपुर में क्या इतिहास है?
भाजपा ने 2000, 2010 और 2015 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
क्या इस बार कांग्रेस और महागठबंधन को बढ़त मिलेगी?
हालिया चुनाव परिणामों से संकेत मिलता है कि कांग्रेस और महागठबंधन को बढ़त मिल सकती है।